सिंबोल ड्रामा (या कताथाइम-इमेजिनेटिव साइकोथेरेपी) एक अनोखी मनोचिकित्सीय प्रक्रिया है, जो मनोविज्ञान को नाटकीय कला के साथ जोड़ती है। इसमें व्यक्ति अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रतीकों और रूपकों के माध्यम से अभिव्यक्त करता है, जिससे वह अपने अंदर के भावों और संघर्षों को बेहतर समझ पाता है।
यह थेरेपी खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं। इसमें व्यक्ति केवल बात नहीं करता, बल्कि अपने शरीर और कल्पना का उपयोग करके भावनाओं को जीता है। यह एक सक्रिय और रचनात्मक प्रक्रिया है जो आत्म-अन्वेषण और आत्म-विकास में सहायता करती है।
सिंबोल ड्रामा में प्रतिभागी अपने जीवन के अनुभवों के लिए व्यक्तिगत प्रतीकों का निर्माण करते हैं। ये प्रतीक अक्सर अवचेतन से आते हैं और इनका विश्लेषण करने से व्यक्ति को अपने आंतरिक मनोभावों की गहराई में झाँकने का अवसर मिलता है।
यह विधि शिक्षा और सामाजिक विकास के क्षेत्र में भी उपयोगी मानी जाती है, क्योंकि यह रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है, सामाजिक कौशल को बढ़ावा देती है और आत्म-विश्वास को विकसित करने में मदद करती है।
कुल मिलाकर, सिंबोल ड्रामा व्यक्ति को अपनी भावनाओं, इच्छाओं और संबंधों की बेहतर समझ प्रदान करता है। यह न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है, बल्कि मानसिक संतुलन और भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए भी एक प्रभावी उपकरण साबित होता है।