स्कीमा थेरेपी एक ऐसी मनोचिकित्सा पद्धति है जो व्यक्ति के लंबे समय से चले आ रहे सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीकों (जिन्हें "स्कीमा" कहा जाता है) की पहचान और बदलाव पर केंद्रित होती है। ये स्कीमा आमतौर पर बचपन के अनुभवों से उत्पन्न होते हैं और बाद के जीवन में व्यक्ति की सोच और प्रतिक्रिया को गहराई से प्रभावित करते हैं।
इस थेरेपी को 1990 के दशक में मनोवैज्ञानिक जेफरी यंग ने विकसित किया था। यह CBT (संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी), मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और अनुभवजन्य तकनीकों का संयोजन है। इसका उद्देश्य व्यक्ति को यह समझने में मदद करना है कि कौन से स्कीमा उसकी वर्तमान समस्याओं का कारण बन रहे हैं और कैसे उन्हें बदला जा सकता है।
थेरेपी की शुरुआत में, चिकित्सक व्यक्ति की स्कीमा की पहचान करता है – जैसे कि "मैं अच्छा नहीं हूं" या "दूसरे लोग हमेशा मुझे छोड़ देंगे।" इन विचारों को पहचानने के बाद, चिकित्सक और व्यक्ति मिलकर ऐसे नए व्यवहार और सोच के तरीके विकसित करते हैं जो अधिक सहायक और यथार्थवादी हों।
इस थेरेपी की एक खास बात यह है कि इसमें चिकित्सक और व्यक्ति के बीच संबंध को बहुत महत्व दिया जाता है। चिकित्सक एक सहानुभूतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल प्रदान करता है, और "सीमित पुनःपालकता" (limited reparenting) के माध्यम से व्यक्ति को वह भावनात्मक सहयोग देने की कोशिश करता है जो शायद बचपन में नहीं मिला था।
स्कीमा थेरेपी का उपयोग विशेष रूप से व्यक्तित्व विकारों, अवसाद, चिंता, नशे की लत और लंबे समय से चले आ रहे संबंधी संघर्षों के मामलों में किया जाता है। यह उन लोगों के लिए उपयोगी है जो बार-बार एक जैसे नकारात्मक चक्रों में फँस जाते हैं।
यह थेरेपी गहराई से आत्मनिरीक्षण को प्रेरित करती है और व्यक्ति को अपनी समस्याओं की जड़ तक पहुँचने में मदद करती है। इसके माध्यम से, व्यक्ति न केवल अपने पुराने घावों को समझता है बल्कि उन्हें बदलने और चंगा करने की दिशा में भी कदम बढ़ाता है।