रिएलिटी थेरेपी (Reality Therapy) एक ऐसी मनोचिकित्सकीय विधि है जो वर्तमान और भविष्य पर केंद्रित होती है, न कि अतीत पर। इसकी स्थापना 1960 के दशक में विलियम ग्लासर ने की थी और यह "चॉइस थ्योरी" पर आधारित है। यह सिद्धांत कहता है कि हर व्यक्ति अपने व्यवहार का स्वयं जिम्मेदार होता है और वह बेहतर विकल्प चुनकर अपने जीवन को बदल सकता है।
इस थेरेपी में व्यक्ति से यह पूछा जाता है कि वह अपने जीवन से वास्तव में क्या चाहता है — चाहे वह प्यार हो, सफलता, सुरक्षा या स्वीकृति। इसके बाद यह देखा जाता है कि व्यक्ति वर्तमान में जो कर रहा है, वह उसके लक्ष्यों की पूर्ति में मदद कर रहा है या नहीं। यदि नहीं, तो चिकित्सक व्यक्ति की मदद करता है कि वह वैकल्पिक, अधिक प्रभावी और सकारात्मक व्यवहारों को अपनाए।
Reality Therapy का एक प्रमुख सिद्धांत है "कुल व्यवहार" (Total Behavior), जिसमें किसी व्यक्ति के व्यवहार को चार हिस्सों में बांटा जाता है: उसके विचार, भावनाएं, कार्य और शारीरिक प्रतिक्रियाएं। इस सिद्धांत के अनुसार, जब हम अपने सोचने और करने के तरीके को बदलते हैं, तो हमारी भावनाएं और शारीरिक अनुभव भी स्वतः बदलते हैं।
यह थेरेपी बहुत ही व्यावहारिक, सक्रिय और समाधान-उन्मुख होती है। यह आमतौर पर अल्पकालिक होती है और इसमें 10 से 20 सत्र हो सकते हैं। इसे तनाव, आत्म-सम्मान, रिश्तों की समस्याएं, लत या अकादमिक प्रदर्शन जैसे मुद्दों के लिए उपयोग किया जाता है।
Reality Therapy व्यक्ति को यह सिखाती है कि वह दूसरों या परिस्थितियों को दोष देने के बजाय अपने निर्णयों और क्रियाओं की जिम्मेदारी ले। यह दृष्टिकोण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम बनाता है।
संक्षेप में, Reality Therapy एक सशक्त पद्धति है जो व्यक्ति को अपने जीवन के निर्णयों के प्रति जागरूक बनाकर उन्हें अधिक सशक्त, लचीला और संतुलित बनाती है।