सकारात्मक मनोविज्ञान (Positive Psychology) मनोविज्ञान की एक ऐसी शाखा है जो केवल समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय व्यक्ति की आंतरिक शक्तियों, गुणों और जीवन के सकारात्मक पहलुओं को बढ़ावा देने पर ज़ोर देती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि व्यक्ति न केवल समस्याओं से उबर सके, बल्कि एक संतुलित, खुशहाल और उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सके।
यह दृष्टिकोण कृतज्ञता, आशा, लचीलापन (resilience), प्रेम, करुणा, आत्म-सम्मान और जीवन में उद्देश्य जैसे गुणों को विकसित करने में सहायक होता है। सकारात्मक मनोविज्ञान यह मानता है कि हर व्यक्ति में अच्छे जीवन की नींव रखने की क्षमता होती है, बस उसे सही मार्गदर्शन और समर्थन की आवश्यकता होती है।
इस थेरेपी में कई प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाता है — जैसे कि आभार प्रकट करने की आदत विकसित करना, अपने जीवन के लक्ष्यों को स्पष्ट करना, आत्म-दयालुता का अभ्यास करना, और अपने व्यक्तिगत मूल्यों को समझना। ये उपाय मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार लाते हैं।
सकारात्मक मनोविज्ञान को व्यक्तिगत परामर्श, स्कूलों, कार्यस्थलों और सामाजिक कार्यक्रमों में सफलतापूर्वक अपनाया गया है। यह न केवल मानसिक रोगों की रोकथाम में मदद करता है, बल्कि लोगों को अपनी क्षमताओं और रिश्तों को सुधारने में भी सहयोग करता है।
हालाँकि, यह ध्यान देना ज़रूरी है कि सकारात्मक मनोविज्ञान को अपनाने वाले विशेषज्ञों को इसके सिद्धांतों और तकनीकों में उचित प्रशिक्षण प्राप्त होना चाहिए। यह कोई सतही “खुश रहने की कला” नहीं है, बल्कि गहराई से जुड़ा, अनुसंधान-आधारित दृष्टिकोण है जो दीर्घकालिक मानसिक कल्याण में सहायक होता है।