न्यूरोफीडबैक एक उन्नत चिकित्सीय तकनीक है जो व्यक्ति को अपनी मस्तिष्क गतिविधियों को वास्तविक समय में देखने और नियंत्रित करना सिखाती है। इसे EEG बायोफीडबैक भी कहा जाता है। इस पद्धति में मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को मापने के लिए सिर पर सेंसर लगाए जाते हैं, और व्यक्ति को दृश्य या श्रव्य संकेतों के माध्यम से फीडबैक दिया जाता है।
एक सामान्य न्यूरोफीडबैक सत्र में, प्रशिक्षित चिकित्सक व्यक्ति के सिर पर सेंसर लगाते हैं और कंप्यूटर स्क्रीन पर मस्तिष्क की तरंगों को रिकॉर्ड करते हैं। जब व्यक्ति विशेष कार्य करता है और वांछित मस्तिष्क तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो उसे सकारात्मक फीडबैक जैसे कि संगीत, रोशनी या चित्रों के रूप में संकेत मिलता है।
इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण सिखाना है, जिससे वह अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधार सके। न्यूरोफीडबैक का उपयोग एडीएचडी, चिंता, अवसाद, माइग्रेन, पीटीएसडी और नींद संबंधी समस्याओं जैसी कई मानसिक स्थितियों के उपचार में किया जाता है।
न्यूरोफीडबैक चिकित्सा की एक विशेषता यह है कि यह गैर-आक्रामक और दवा रहित है। व्यक्ति अपने मस्तिष्क को अभ्यास और दोहराव के माध्यम से नियंत्रित करना सीखता है, जिससे ध्यान, भावनात्मक स्थिरता और नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
यह पद्धति केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित चिकित्सकों द्वारा ही अपनाई जानी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार सत्रों की संख्या और अवधि अलग हो सकती है। यह थेरेपी अक्सर अन्य उपचारों के साथ मिलकर उपयोग की जाती है, जिससे एक समग्र और प्रभावशाली उपचार योजना बनती है।