बहुसांस्कृतिक मनोविज्ञान (Multicultural Psychology) एक ऐसा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो व्यक्ति की सांस्कृतिक, जातीय और नस्लीय पृष्ठभूमि को मानसिक स्वास्थ्य से जोड़कर समझने का प्रयास करता है। यह मानता है कि हर व्यक्ति की सोच, भावना और व्यवहार उस संस्कृति से गहराई से प्रभावित होता है जिसमें वह पला-बढ़ा है। इसलिए एक ही प्रकार की मानसिक समस्याएं अलग-अलग संस्कृतियों में अलग रूप में प्रकट हो सकती हैं।
इस दृष्टिकोण का मुख्य उद्देश्य यह है कि मनोचिकित्सा सेवाएं सभी सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आने वाले लोगों के लिए उपयुक्त और संवेदनशील होनी चाहिए। इसका अर्थ है कि मूल्यांकन, निदान और उपचार के तरीके व्यक्ति की सांस्कृतिक मान्यताओं और अनुभवों के अनुरूप हों।
बहुसांस्कृतिक मनोविज्ञान यह भी मानता है कि जातिवाद, लिंगभेद, होमोफोबिया और सामाजिक भेदभाव जैसे संरचनात्मक अन्याय मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं। इसलिए थेरेपी में इन कारकों को अनदेखा करना उचित नहीं है। चिकित्सक को न केवल मनोवैज्ञानिक लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि व्यक्ति की सामाजिक वास्तविकताओं को भी समझना और स्वीकारना चाहिए।
यह दृष्टिकोण इस बात की वकालत करता है कि मानसिक स्वास्थ्य पेशे में विविधता हो — अर्थात् विभिन्न समुदायों से आने वाले विशेषज्ञों को भी प्रतिनिधित्व मिले। शोध कार्यों और मनोवैज्ञानिक मॉडल में विविध सांस्कृतिक दृष्टिकोणों को शामिल करने से सेवाएं अधिक समावेशी और प्रभावी बनती हैं।
बहुसांस्कृतिक थेरेपी में पारंपरिक उपचार पद्धतियों को भी स्थान मिल सकता है, जैसे कि योग, ध्यान या धार्मिक परामर्श, यदि वे व्यक्ति की संस्कृति का हिस्सा हैं। इस प्रकार की संवेदनशील और समन्वित देखभाल से न केवल मानसिक समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि व्यक्ति को सम्मान और समझ का अनुभव भी होता है।