माइंडफुलनेस-आधारित संज्ञानात्मक थेरेपी (MBCT) एक विशेष प्रकार की मनोचिकित्सा है जो माइंडफुलनेस मेडिटेशन को संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) के साथ जोड़ती है। इसे 1990 के दशक में ज़िंडल सेगल, मार्क विलियम्स और जॉन टीस्डेल ने विशेष रूप से ऐसे लोगों के लिए विकसित किया था जिनमें अवसाद बार-बार लौटकर आता था, भले ही उन्होंने पहले से उपचार या दवा ली हो।
MBCT का मूल विचार यह है कि व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को वर्तमान क्षण में जागरूक रूप से देख सकता है, बिना उनकी आलोचना किए। इससे वे अधिक सकारात्मक और लचीले ढंग से प्रतिक्रिया करना सीखते हैं। माइंडफुलनेस में श्वास पर ध्यान देना, शरीर स्कैन करना, और धीरे-धीरे सचेत रूप से चलना जैसे अभ्यास शामिल होते हैं।
MBCT आमतौर पर आठ सप्ताह के कार्यक्रम के रूप में दिया जाता है, जिसमें समूह और व्यक्तिगत सत्र होते हैं। इसमें ध्यान अभ्यास, मनोशिक्षा, और समूह चर्चा शामिल होती है ताकि व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को अधिक स्वीकार कर सके और उनसे प्रभावी ढंग से निपटने की रणनीतियाँ विकसित कर सके।
अनुसंधान से पता चला है कि MBCT अवसाद की पुनरावृत्ति को रोकने में प्रभावी है, और इसे चिंता और नशे की लत जैसी अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज में भी अपनाया गया है। यह नकारात्मक विचारों को पहचानने और चुनौती देने की क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे तनाव में कमी आती है और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है।
MBCT को अब प्राथमिक देखभाल, स्कूलों और कार्यस्थलों जैसे विभिन्न वातावरणों में भी अपनाया जा रहा है, ताकि व्यापक जनसंख्या में मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित किया जा सके। यह एक आशाजनक दृष्टिकोण है जो माइंडफुलनेस और CBT को मिलाकर मानसिक स्थिति को स्थिर और संतुलित बनाने में मदद करता है।