मेडिटेशन और चिंतनशील अभ्यास (Contemplative Practices) ऐसे तकनीकी और मानसिक अभ्यास हैं जो व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्म-जागरूकता और भावनात्मक संतुलन प्राप्त करने में मदद करते हैं। ये अभ्यास बौद्ध और हिंदू परंपराओं से उत्पन्न हुए हैं, लेकिन अब आधुनिक मनोविज्ञान में भी इन्हें मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अपनाया जा रहा है।
ध्यान के दौरान व्यक्ति आमतौर पर शांत बैठकर अपनी साँसों पर ध्यान देता है या अपने विचारों और भावनाओं को बिना किसी निर्णय के देखता है। इसका उद्देश्य मन को खाली करना नहीं, बल्कि उसे समझना और उसके साथ जागरूक संबंध बनाना होता है। नियमित अभ्यास से आत्म-जागरूकता और आंतरिक स्थिरता में वृद्धि होती है।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन वर्तमान क्षण में पूर्ण रूप से उपस्थित रहने का अभ्यास है, जबकि प्रेम और करुणा पर आधारित ध्यान (loving-kindness meditation) स्वयं और दूसरों के प्रति सकारात्मक भावनाएँ विकसित करता है। ट्रान्सेंडेंटल मेडिटेशन में किसी मंत्र का दोहराव किया जाता है जिससे गहरी शांति की अनुभूति होती है। योग भी एक चिंतनशील अभ्यास है जिसमें शारीरिक मुद्राएँ, श्वास तकनीक और ध्यान सम्मिलित होते हैं।
अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि नियमित ध्यान से चिंता और अवसाद के लक्षणों में कमी आती है, नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है, रक्तचाप नियंत्रित होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है। साथ ही, यह व्यक्ति को भावनात्मक रूप से अधिक लचीला बनाता है और जीवन की कठिनाइयों से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य उपचार योजनाओं में ध्यान और चिंतनशील अभ्यासों को अन्य विधाओं जैसे कि संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) या डाइलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी (DBT) के साथ शामिल किया जा सकता है। यह समग्र रूप से व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है।