गेस्टाल्ट

गेश्टाल्ट थेरेपी एक ऐसी मनोचिकित्सीय विधि है जो व्यक्ति की वर्तमान स्थिति, आत्म-जागरूकता और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी पर ज़ोर देती है। यह थेरेपी 1940 के दशक में फ्रिट्ज़ पर्ल्स द्वारा विकसित की गई थी और इसका उद्देश्य व्यक्ति को वर्तमान क्षण में जीने और अपने अनुभवों को पूरी तरह महसूस करने की क्षमता प्रदान करना है।

"गेश्टाल्ट" एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ है "रूप" या "पूर्णता"। इस दृष्टिकोण में व्यक्ति को केवल उसके विचारों या व्यवहार के आधार पर नहीं, बल्कि उसकी पूरी मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्थिति के समग्र रूप में समझा जाता है।

गेश्टाल्ट थेरेपी का प्रमुख उद्देश्य यह है कि व्यक्ति अपनी भावनाओं, संवेदनाओं और सोच को इस क्षण में पहचाने, न कि केवल अतीत की घटनाओं या भविष्य की चिंता में उलझा रहे। थेरेपिस्ट व्यक्ति को यह सिखाते हैं कि वे अपनी प्रतिक्रियाओं और कार्यों की ज़िम्मेदारी स्वयं लें, बजाय इसके कि वे अपनी समस्याओं के लिए बाहरी कारकों को दोष दें।

इस थेरेपी में "एक्सपेरिमेंट्स" या प्रयोगों का उपयोग भी किया जाता है, जिनमें क्लाइंट और थेरेपिस्ट मिलकर सक्रिय रूप से कार्य करते हैं। इनमें रोल-प्ले, कल्पनात्मक दृश्य, या शरीर पर ध्यान देने वाले अभ्यास शामिल हो सकते हैं जो क्लाइंट को नए दृष्टिकोण अपनाने में मदद करते हैं।

गेश्टाल्ट थेरेपी का लाभ यह है कि यह व्यक्ति को खुद को बेहतर समझने, आत्म-स्वीकृति बढ़ाने और जीवन में वर्तमान में रहकर सही निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह थेरेपी चिंता, अवसाद, संबंधों की समस्याओं और आत्मसम्मान से जुड़ी समस्याओं में विशेष रूप से उपयोगी हो सकती है।

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