फैमिली सिस्टम्स थेरेपी एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो व्यक्ति को केवल एक स्वतंत्र इकाई के रूप में नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवारिक प्रणाली का हिस्सा मानता है। इस दृष्टिकोण में माना जाता है कि परिवार एक जटिल सामाजिक प्रणाली है जिसमें नियम, भूमिकाएँ और व्यवहार के पैटर्न होते हैं जो सभी सदस्यों को प्रभावित करते हैं।
इस थेरेपी का लक्ष्य परिवारिक संवाद और आपसी संबंधों को बेहतर बनाना होता है। इसमें यह देखा जाता है कि परिवार में किस तरह के व्यवहार और संवाद के तरीके हैं, और इन्हें कैसे सकारात्मक दिशा में बदला जा सकता है। यह पद्धति उन परिवारों के लिए उपयोगी होती है जो वैवाहिक संघर्ष, माता-पिता और बच्चों के बीच टकराव, भाई-बहनों के झगड़े, तलाक या मिश्रित परिवार जैसी स्थितियों से जूझ रहे हैं।
थेरेपी की पहली अवस्था में मूल्यांकन किया जाता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य से बातचीत और पारिवारिक बातचीत का अवलोकन करके समस्या के मूल कारणों को समझा जाता है। इस दौरान यह जाना जाता है कि परिवार में कौन से व्यवहारिक पैटर्न स्थिर हैं और कैसे वे सभी पर प्रभाव डालते हैं।
दूसरी अवस्था हस्तक्षेप की होती है, जहां थेरेपिस्ट परिवार के साथ मिलकर रणनीतियाँ बनाता है — जैसे संवाद सुधारना, सीमाएं तय करना, या सहयोग की भावना बढ़ाना। यह समय होता है बदलाव लाने का और पुराने व्यवहार को नए, स्वस्थ विकल्पों से बदलने का।
अंतिम अवस्था में मूल्यांकन किया जाता है कि क्या परिवर्तन प्रभावी रहे हैं और क्या आगे और सुधार की आवश्यकता है। चूँकि पारिवारिक संरचनाओं में परिवर्तन समय ले सकता है, यह थेरेपी अक्सर लंबी अवधि में की जाती है। इसका लाभ यह होता है कि संपूर्ण पारिवारिक व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव आता है और सभी सदस्यों की भलाई को बढ़ावा मिलता है।