संज्ञात्मक प्रसंस्करण चिकित्सा (CPT), विशेष रूप से ट्रॉमा और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के उपचार के लिए विकसित की गई एक वैज्ञानिक रूप से समर्थित मनोचिकित्सा पद्धति है। इसे डॉ. पैट्रिसिया रेसिक और सहयोगियों ने प्रस्तुत किया था और इसका उद्देश्य ट्रॉमैटिक अनुभवों के बाद उत्पन्न नकारात्मक सोच और विश्वासों को पहचानकर उन्हें बदलना है।
CPT मानता है कि ट्रॉमा व्यक्ति की आत्म-धारणा, दूसरों के प्रति दृष्टिकोण और दुनिया को देखने के तरीके को गहराई से प्रभावित करता है। पीड़ित व्यक्ति अक्सर स्वयं को दोषी मानता है (“मैं कमजोर हूँ”), विश्वासी भाव खो देता है (“कोई भी मेरी मदद नहीं करेगा”) या अत्यधिक सामान्यीकरण करता है (“हमेशा बुरा ही होता है”)। ये विकृत धारणाएँ चिंता, अवसाद और बचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती हैं।
सामान्यतः CPT 12-16 साप्ताहिक सत्रों में संचालित होता है, प्रत्येक सत्र में 50-60 मिनट का समय लिया जाता है। CPT के चार मुख्य चरण हैं:
- शिक्षा (Psychoeducation): PTSD लक्षण, मस्तिष्कीय प्रतिक्रियाएँ और ट्रॉमा के प्रभावों के बारे में जानकारी दी जाती है।
- निपटने की रणनीतियाँ (Coping Skills): गहरी साँस-प्रश्वास, मांसपेशी विश्राम और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकों से तत्काल तनाव नियंत्रण सिखाया जाता है।
- संज्ञात्मक पुनर्गठन (Cognitive Restructuring): क्लाइंट लिखित कार्यों के माध्यम से नकारात्मक विचारों को दर्ज करता है, चिकित्सक के मार्गदर्शन में उन्हें चुनौती देता है और अधिक यथार्थपरक विकल्प तैयार करता है।
- प्रकाशन (Exposure) और ट्रॉमा लेखन: क्लाइंट ट्रॉमैटिक अनुभव को विस्तार से लिखता है और सुरक्षित वातावरण में चिकित्सक के साथ साझा करता है, जिससे भावनात्मक भार में कमी आती है।
संज्ञात्मक पुनर्गठन के दौरान, चिकित्सक प्रश्न पूछकर क्लाइंट से प्रमाणों की विवेचना करवाता है; इस तरह विकृत धारणाएँ सुधरती हैं और नए, सहायक विश्वास उत्पन्न होते हैं। घर पर अभ्यास के लिए क्लाइंट को दैनिक ट्रॉगर रिकॉर्डिंग और प्रतिक्रिया लेखन जैसी गतिविधियाँ दी जाती हैं।
Exposure तकनीक से क्लाइंट धीरे-धीरे उन यादों और परिस्थितियों का सामना करता है जिन्हें वह टालता आया है। सुरक्षित तरीके से भावनात्मक लोड कम करने से बचने की प्रवृत्ति घटती है और आत्म-विश्वास बढ़ता है।
CPT की प्रभावशीलता विविध अनुसंधान अध्ययनों में सिद्ध हुई है, जहां PTSD, चिंता और अवसाद के लक्षणों में गंभीर कमी देखी गई है। यह विधि रिहैबिलिटेशन सेंटर, मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक और सामुदायिक कार्यक्रमों में व्यापक रूप से अपनाई जा रही है।
CPT प्रदान करने वाले चिकित्सक अक्सर मनोविज्ञान या संबंधित क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं और उन्होंने विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन पूरा किया होता है। वे नियमित सुपरविजन और नैदानिक मार्गदर्शन के तहत कार्य करते हैं।
कुल मिलाकर, CPT न केवल लक्षणों में कमी लाता है बल्कि मानसिक लचीलापन, आत्म-चेतना और भावनात्मक स्थिरता भी बढ़ाता है। यह उपचार दर्दनाक अनुभवों पर स्थायी रूप से काबू पाने के लिए एक संरचित और प्रभावी मार्ग प्रदान करता है।