नशा और शराब परामर्शदाता

ड्रग एवं अल्कोहल काउंसलर वह विशेषज्ञ होता है जो पदार्थ‑निर्भरता की जटिल परतों—जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक—को समझते हुए व्यक्ति को नशा‑मुक्ति की राह दिखाता है। यह भूमिका केवल नशा छुड़वाने तक सीमित नहीं; बल्कि अस्वस्थ आदत के पीछे छिपे दर्द, खालीपन या आघात को पहचान कर संपूर्ण जीवन‑पद्धति में बदलाव लाना इसका उद्देश्य है।

पहला चरण है व्यापक आकलन: उपयोग के पैटर्न, पिछले प्रयास, मेडिकल स्थिति (लिवर फ़ंक्शन, न्यूरोलॉजी), सह‑अस्तित्वी विकार (डिप्रेशन, PTSD), पारिवारिक इतिहास और सामाजिक समर्थन। इसके आधार पर “व्यक्तिगत उपचार‑योजना” बनती है जिसमें लक्ष्य हो सकते हैं—डिटॉक्स की तैयारी, 90 दिन पूर्ण संयम, या ‘हाई‑रिस्क’ परिस्थितियों का सामना करने की प्रशिक्षण योजना।

मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग क्लाइंट की दुविधा को आदर से टटोलती है; खुले‑आम “तुम्हें बदलना है” नहीं, बल्कि “तुम बदलाव क्यों चाहते हो” पर फोकस। संज्ञानात्मक‑व्यवहारिक तकनीकें उन सोच‑दोषों को चुनौती देती हैं जो उपयोग को तर्कसंगत ठहराते हैं—“बिना कोकीन के फोकस नहीं आता”, “मेरे दोस्त पीते हैं, तो मुझे भी पीना ही होगा।” व्यवहारिक प्रयोग, तड़प (craving) की लहर को बगैर सेवन के ‘सर्फ’ करना सिखाते हैं।

रिलैप्स‑रोकथाम मॉड्यूल में HALT (Hungry‑Angry‑Lonely‑Tired) दैनिक चेक, ट्रिगर‑लॉग, और त्वरित सहायता नेटवर्क शामिल है। पारिवारिक सत्रों में परिजनों को लत का न्यूरो‑बायोलॉजिकल आधार, सह‑निर्भरता के संकेत, और सीमाएँ निर्धारित करना सिखाया जाता है। ग्रुप‑थैरेपी (12‑स्टेप, SMART Recovery) सामुदायिक जुड़ाव और जवाबदेही विकसित करती है।

भारत में इस क्षेत्र में प्रवेश हेतु BA/BSc मनोविज्ञान या सोशल वर्क, फिर NISD या RCI मान्यता प्राप्त नशा‑परामर्श प्रमाण‑पत्र (240+ घंटे सिद्धांत, 180 घंटे प्रैक्टिकम) आवश्यक है। अस्पताल‑आधारित डि‑एडिक्शन केंद्र, NGO, जेल पुनर्वास परियोजनाएँ, तथा टेली‑थेरेपी प्लेटफ़ॉर्म मुख्य कार्यस्थल हैं। सतत शिक्षा में harm‑reduction, LGBTQ+ substance use, क्लिनिकल माइंडफुलनेस, तथा गेमिंग/पोर्नografi लत पर अद्यतन शोध शामिल है।

औषधीय सहयोग (नालट्रेक्सोन, बुप्रेनोर्फिन) मनो‑सामाजिक प्रक्रिया का पूरक है; काउंसलर फार्माकोलॉजिस्ट के साथ खुराक अनुपालन और साइड‑इफ़ेक्ट मॉनिटर करता है। डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी, ट्रॉमा‑फोकस्ड EMDR और आर्ट‑थैरेपी, दीर्घकालिक रिकवरी में महत्वपूर्ण सहायक सिद्ध होते हैं।

चेतावनी संकेत: सहनशीलता का बढ़ना, सुबह‑सुबह पीना, झूठ बोलकर धन जुटाना, स्वास्थ्य‑जांच में असामान्य रिपोर्ट, रिश्तों में कटुता, या बार‑बार ‘आज आख़िरी बार’ कहना। शीघ्र काउंसलिंग से मस्तिष्क‑रासायनिक क्षति, सामाजिक पतन और कानूनी झंझट टाले जा सकते हैं। ड्रग एवं अल्कोहल काउंसलर विश्वास, दक्षता और सहानुभूति से लैस “सह‑यात्री” बनता है, ताकि पुनर्प्राप्ति सिर्फ लक्ष्य नहीं, जीया गया यथार्थ बने।

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