ट्रॉमा थेरेपिस्ट वह विशेषज्ञ मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर है, जो गहन एवं कष्टदायक घटनाओं के बाद उत्पन्न मनो‑जैविक, भावनात्मक और व्यवहारिक संकट को समझने और दूर करने में व्यक्तियों की सहायता करता है। शारीरिक या यौन शोषण, प्राकृतिक आपदा, युद्ध, सड़क दुर्घटना, दीर्घकालिक उपेक्षा या आकस्मिक शोक जैसी स्थितियाँ अक्सर व्यक्ति की सुरक्षा‑भावना, पहचान और संबंधों को झकझोर देती हैं। परिणामस्वरूप पोस्ट‑ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), घोर चिंता, अवसाद, डिसोसियेशन, या आत्म‑विश्वास में कमी देखी जा सकती है। ट्रॉमा थेरेपिस्ट मस्तिष्क के लिम्बिक तं...
सबसे पहले थेरेपिस्ट एक सुरक्षित, भरोसेमंद वातावरण तैयार करता है। स्टेबलाइज़ेशन चरण में ग्राउंडिंग, नियंत्रित श्वास एवं बॉडी‑स्कैन जैसी तकनीकों से तंत्रिका‑तंत्र को संतुलित किया जाता है। इससे क्लाइंट भावनात्मक नियंत्रण हासिल कर, दर्दनाक स्मृतियों को संसाधित करने के लिए तैयार होता है। अगला चरण ट्रॉमा प्रोसेसिंग का है, जहाँ EMDR, इमेजरी रीसक्रिप्टिंग, संज्ञानात्मक‑प्रसंस्करण चिकित्सा (CPT) या सममिक अनुभवात्मक (Somatic Experiencing) जैसी प्रमाण‑आधारित विधियों से दुर्भावना‑युक्त यादों को नियंत्रित खुराक में पुनःजीवित कर नियंत...
थेरेपिस्ट क्लाइंट को यह समझने में मदद करता है कि फ्लैशबैक, नाइटमेयर या ट्रिगर अनुभव मस्तिष्क‑शरीर की स्वाभाविक सुरक्षा प्रतिक्रिया हैं, असफलता नहीं। क्लाइंट सुरक्षा संकेतों की पहचान करता और वर्तमान क्षण में लौटने की रणनीति सीखता है। सांस्कृतिक सन्दर्भ—धार्मिक‑आध्यात्मिक आस्थाएँ, सामुदायिक मान्यताएँ, पारिवारिक संरचना—थेरेपी को आकार देते हैं; इसीलिए ट्रॉमा थेरेपिस्ट सांस्कृतिक‑संवेदनशील रूपक, भाषा और अनुष्ठानों को हस्तक्षेप में समाहित करता है।
बहुधा बहुविषयी टीम के साथ काम किया जाता है: मनोचिकित्सक औषधीय समर्थन प्रदान कर सकते हैं; शरीर‑केंद्रित चिकित्सक मांसपेशीय तनाव को संबोधित करते हैं; सामाजिक कार्यकर्ता सुरक्षा और आश्रय सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं। जटिल PTSD या बहु‑आघाती इतिहास वाले मामलों में धीमी, आस्थितीय गति से थेरेपी की जाती है जिससे असहनीय पुनःप्रयोग रोका जा सके।
भारत सहित कई देशों में ट्रॉमा थेरेपी में विशेषज्ञता हेतु नैदानिक मनोविज्ञान में परास्नातक के साथ EMDRIA मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण, सेंसरिमोटर साइकотерапी या स्वीकृति‑प्रतिबद्धता मॉडल पर उन्नत पाठ्यक्रम, तथा न्यूनतम 50–100 घण्टे की सुपरविज़न आवश्यक है। पेशेवर कूटिन्हा द्वितीयक ट्रॉमा के प्रति सचेत रहते हैं और नियमित आत्म‑देखभाल—योग, सहकर्मी सुपरविज़न, परामर्श—को अपनाते हैं।
सारतः, ट्रॉमा थेरेपिस्ट न्यूरोबायोलॉजिकल जानकारी, करुणामय उपस्थिति और चरणबद्ध वैज्ञानिक तकनीकों के संयोग से क्लाइंट को फिर से सुरक्षा, जुड़ाव और आशा का अनुभव कराने में मदद करता है, ताकि वे दर्दनाक अतीत को समाहित कर भविष्य की ओर उन्मुख जीवन जी सकें।