मनोविज्ञान में सुपरवाइज़र वह वरिष्ठ पेशेवर होता है, जो प्रशिक्षु या कम अनुभव वाले चिकित्सकों को मार्गदर्शन, प्रतिपुष्टि और संरक्षण प्रदान करता है, ताकि वे नैतिक, कुशल और आत्म‑चिंतनशील मनोवैज्ञानिक बन सकें। यह संबंध कक्षा‑अधारित शिक्षा से भिन्न है; यहाँ सीखना संवाद‑केन्द्रित, अनुभव‑आधारित और द्विपक्षीय होता है। सुपरवाइज़र अनुवीक्षण सत्रों में केस नोट्स, ऑडियो‑वीडियो क्लिप या प्रत्यक्ष भूमिका‑अभिनय का उपयोग कर क्लाइंट‑थैरेपिस्ट अंतःक्रिया का विश्लेषण करवाता है।
सत्र की शुरुआत supervisee (प्रशिक्षु) द्वारा चुनिंदा केस सामग्री प्रस्तुत करने से होती है। वह बताता है कि किस बिंदु पर हस्तक्षेप प्रभावी रहा, कहाँ अनिश्चितता अनुभव हुई और कौन‑से सांस्कृतिक या पारिवारिक संदर्भों ने इलाज को प्रभावित किया। सुपरवाइज़र खुले प्रश्न पूछकर गहन चिंतन हेतु प्रेरित करता है: “आपने उस क्षण क्या महसूस किया?”, “क्लाइंट के दृष्टिकोण से यह हस्तक्षेप कैसा रहा होगा?” इस प्रक्रिया के माध्यम से प्रशिक्षु अपनी अंतर्ज्ञानात्मक प्रतिक्रियाएँ पहचानता और नियंत्रित करता है।
सुपरवाइज़र का प्रमुख लक्ष्य दोहरा है: पहला, सेवा उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना—यानी उपचार साक्ष्यों पर आधारित, सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त और नैतिक मानकों के अनुरूप हो; दूसरा, प्रशिक्षु की पेशेवर पहचान को आकार देना। इसलिए सत्रों में नैतिक दुविधाएँ (उदाहरणः दोहरे संबंध, गोपनीयता भंग जोखिम), काउंटरट्रांस्फरेंस, आघात‑सूचित देखभाल और आत्म‑संरक्षण रणनीतियों पर भी चर्चा होती है।
विभिन्न मॉडल प्रचलित हैं: 1) विकासात्मक मॉडल, जहाँ सुपरवाइज़र मार्गदर्शन की तीव्रता प्रशिक्षु की योग्यता‑स्तर के अनुसार घटाता‑बढ़ाता है; 2) संवादात्मक मॉडल, जो समानता और साझी खोज पर बल देता है; 3) समृद्धिपूर्ण प्रतिपुष्टि मॉडल, जिसमें विशिष्ट, समय पर और पालन‑कर्तव्य उन्मुख फीडबैक दिया जाता है। कई सुपरवाइज़र रचनात्मक तकनीकें—जैसे चित्रण, मूर्तिकला रूपांतरण या ध्यान‑आधारित अवलोकन—का उपयोग कर गहन सीख को सहज बनाते हैं।
डिजिटल युग में टेली‑सुपरविजन तेजी से लोकप्रिय है। एन्क्रिप्टेड वीडियो प्लेटफॉर्म विश्व‑भर के पेशेवरों को जोड़ते हैं, परंतु गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और पारम्परिक गैर‑मौखिक संकेतों की अनुपस्थिति के कारण अतिरिक्त समझौते आवश्यक हैं। एक उत्तरदायी सुपरवाइज़र स्पष्ट अनुबंध करता है—सत्र की आवृत्ति, रिकॉर्डिंग नीतियाँ, आपातकालीन प्रोटोकॉल और मूल्यांकन मापदंड लिखित रूप में तय किए जाते हैं।
पेशेवर निकाय, जैसे कि भारतीय मनोविज्ञान परिषद या अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन, प्रमाणन के लिए न्यूनतम सुपरविजन घंटों की शर्त रखते हैं। सुपरवाइज़र स्वयं भी ‘मेटा‑सुपरविजन’ अथवा सतत् शिक्षा में भाग लेते हैं, जिससे उनकी सलाह प्रासंगिक और अद्यतन बनी रहे।
सार रूप में, सुपरवाइज़र अनुभव, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सहानुभूति का मिश्रण प्रस्तुत करता है। वह प्रशिक्षुओं को चिकित्सीय तकनीकों की बारीकी, नैतिक गलियारों की जटिलता और व्यक्तिगत‑पेशेवर सीमाओं का सम्मान सिखाता है। इस संरक्षित सीख वातावरण का अंतिम लाभ क्लाइंट को मिलता है, जिसे एक सक्षम, संवेदनशील और आत्म‑प्राप्त चिकित्सक की सेवा प्राप्त होती है।