संज्ञानात्मक‑व्यवहारिक थैरेपिस्ट (CBT थेरेपिस्ट) वह मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ है जो यह मानता है कि “विचार → भावना → व्यवहार” की शृंखला को समझ कर हम मानसिक कष्ट के चक्र को तोड़ सकते हैं। उदाहरणत:, यदि परीक्षाफल आते ही मन में विचार उठे—“मैं फिसड्डी हूँ”—तो मन उदास होगा, पढ़ाई से बचाव होगा और परिणाम सचमुच गिरेंगे। CBT थेरेपिस्ट इस स्व‑पूर्ति भविष्यवाणी को चुनौती देता है: वह प्रमाण इकट्ठा करने, वैकल्पिक व्याख्या खोजने और व्यवहारिक प्रयोग कर के नए अनुभव बुनने में मदद करता है।
CBT आज सर्वाधिक प्रामाणिक शोध‑समर्थित मनोचिकित्सा पद्धति मानी जाती है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अवसाद, चिंता, PTSD, OCD, नींद विकार और व्यसनों के लिए प्रथम पंक्ति उपचार की संस्तुति दी है। थेरेपिस्ट तकनीकों का मिश्रण प्रयोग करता है—कॉग्निटिव री‑स्ट्रक्चरिंग, ग्रेडेड एक्सपोज़र, बिहेवियरल एक्टिवेशन, समस्या‑समाधान कौशल, माइंडफुलनेस आधारित Relapse Prevention आदि।
प्रक्रिया की शुरुआत 360‑डिग्री केस‑फॉर्म्युलेशन से होती है: ट्रिगर, ऑटोमेटिक थॉट, भावनात्मक तीव्रता, शारीरिक संवेदना, और प्रतिक्रियाशील व्यवहार को A‑B‑C मॉडल में मैप किया जाता है। क्लाइंट एक ‘विचार‑डायरी’ रखता है जिसमें स्थिति, सोच, भावना (0‑100), तथा परिणाम लिखे जाते हैं। थेरेपिस्ट सोक्रेटिक प्रश्नों से तर्क में छेद ढूँढ़ता है—“क्या यह विचार 100% सत्य है?”, “सबसे बुरा वास्तविकता में कितना संभावित है?”
एक विशिष्ट सत्र में वर्कशीट, भूमिका‑नाटक, श्वास‑नियंत्रण और रचनात्मक कल्पना शामिल हो सकते हैं। एक्सपोज़र हायरार्की को ‘सबसे सरल → सबसे कठिन’ क्रम में क्रमबद्ध किया जाता है; उदाहरणार्थ ऊँचाई के भय में पहले सीढ़ी पर खड़ा होना, अंततः पहाड़ी पुल पार करना। प्रत्येक पायदान पर तनाव‑स्तर (SUDS) दर्ज किया जाता है ताकि मस्तिष्क सीख सके कि खतरा घटता है भले ही सुरक्षा‑व्यवहार न करें।
भारत में CBT प्रशिक्षण के लिए क्लिनिकल मनोविज्ञान या मनोरोग में परास्नातक उपरांत प्रमाण‑पत्र अथवा फेलोशिप कार्यक्रम होते हैं। इसमें पाठ्यक्रम, निगरानीयुक्त केस‑वर्क, सुपरविज़न और नीतिपरक दिशानिर्देश (RCI कोड) शामिल हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म अब ‘इंटरनेट‑आधारित CBT’ (iCBT) के नए मॉड्यूल प्रदान कर रहे हैं, जिससे रिमोट क्षेत्रों में सेवाएँ पहुँचाना संभव हुआ है।
CBT की खूबी इसकी पारदर्शिता है—इलाज ‘क्यों’ और ‘कैसे’ स्पष्ट रूप से सामने होता है। औसत अवधि 10‑20 सत्र है, लेकिन कौशल‑आधारित होमवर्क सलाह का प्रभाव लंबी अवधि तक चलता है। थेरेपिस्ट न केवल वर्तमान संकट शांत करता है, बल्कि क्लाइंट को “आत्म‑थैरेपिस्ट” बनने की क्षमता देता है। जब कोई भविष्य में नकारात्मक विचार से टकराता है, वह सीखा हुआ टूलकिट खोल सकता है—तथ्यों को तौलना, सांसें साधना, और साहसिक कदम उठाना। यही CBT का अंतिम लक्ष्य है: पुन: लचीलापन, यथार्थवादी आशा और सक्रिय जीवनशैली।