साइकेट्रिस्ट वह चिकित्सक है जिसने MBBS के बाद 3‑6 वर्ष की मानसिक स्वास्थ्य विशेषता (MD/DNB Psychiatry) पूर्ण की है। यह मस्तिष्क‑रसायन, हार्मोन, जेनेटिक्स और psychosocial कारकों को जोड़कर मानसिक रोग – डिप्रेशन, बाइपोलर, शिज़ोफ्रेनिया, PTSD, ADHD – का मूल्यांकन, दवा‑निर्धारण और थेरेपी दोनों का अधिकार रखता है।
एक दिन: सुबह 9 बजे वार्ड राउंड – रात भर के भटकाव, हिंसात्मक व्यवहार, साइड‑इफेक्ट मॉनिटर; 9:45 OPD – OCD रोगी के लिए सर्ट्रालीन + ERP प्लान; 11:00 ECT थिएटर – एनेस्थीसिया टीम के साथ 0.9 ms बाईलेटरल बर्स्ट; दोपहर रेजिडेंट टीचिंग – ‘केटामाइन मेंटेनेंस’; शाम क्राइसिस कॉल – आत्महत्या जोखिम triage; रात शोध डेटा एनालिसिस – स्मार्टफोन सेंसर से मूड पैटर्न।
दवा शस्त्रागार: SSRI/SNRI, atypical antipsychotic (ओलांज़ापिन, अरिपिप्राज़ॉल), मूड स्टैबिलाइज़र (लिथियम, लैमोत्रिजीन), बेंज़ोडायज़ेपीन, स्लीप एजेंट, ADHD स्टिमुलैंट। मुश्किल केस: रेजिस्टेंट डिप्रेशन में – ECT, केटामाइन, rTMS; शिज़ोफ्रेनिया में – क्लोज़ापिन + लॉन्ग एक्टिंग इंजेक्शन; बाइपोलर में – कॉम्बिनेशन थेरेपी + साइकोएजुकेशन।
निर्णय टूल: SCID‑5, HAM‑D, YMRS, PHQ‑9, MOCA; लेब्स – TFT, HbA1c, लिपिड, प्रोलैक्टिन, ईसीजी QTc; इमेजिंग – MRI r/o ट्यूमर, ईईजी r/o टेम्पोरल लव एपिलेप्सी। डेटा‑ड्रिवेन केयर – ROM ग्राफ़, AIMS स्केल, डैशबोर्ड अलर्ट।
इंटरडिसिप्लिनरी टीम: नर्स (24×7 ऑब्जर्वेशन), साइकोलॉजिस्ट (CBT/DBT/EMDR), सोशल वर्कर (रोज़गार, आवास), न्यूरोलॉजिस्ट (को‑मॉर्बिड), फिजिशियन (मेटाबोलिक सिंड्रोम)। साइकेट्रिस्ट दवा लॉजिक, सुरक्षा और लॉन्ग टर्म रिकवरी का सिम्फ़नी कंडक्टर है।
अनुसंधान: केटामाइन रैपिड रिज़ॉल्यूशन, साइकेडेलिक साइकोथेरेपी, डिप लेर्निंग सुइसाइड रिस्क, गैटेट ट्रीटमेंट गाइडलाइन अपडेट। प्रकाशन – Indian Journal of Psychiatry, Nature।
ट्रेनिंग: MBBS (5.5 वर्ष) → इंटर्नशिप → NEET PG → MD Psych (3 वर्ष) → क्लिनिकल रोटेशन (चाइल्ड, कम्युनिटी, अडलेसन्ट, न्यूरो, ईसीटी) → MCI/NMC रजिस्ट्रेशन → DNB, DM सुपर सब‑स्पेशयलिटी संभव। CME 30 घंटे/वर्ष।
कब मिलें? • अवसाद + आत्महत्या विचार • मैनिक एपिसोड • व्हिज़ुअल हेल्यूसिनेशन • दवा के साइड‑इफेक्ट • प्रेग्नेंसी में एंटीसाइकोटिक समायोजन • कॉम्प्लेक्स डबल डायग्नोसिस। साइकेट्रिस्ट संपूर्ण बायोप्साइकोसोशल रूपरेखा से इलाज की धुरी है – दवा के साथ कहानी सुनना भी।