ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट (OT) वह स्वास्थ्य विशेषज्ञ है जो चोट, बीमारी, दिव्यांगता या वृद्धावस्था के कारण बाधित दैनिक गतिविधियों को फिर से संभव बनाता है। “ऑक्युपेशन” का अर्थ केवल नौकरी नहीं; शरीर‑स्वयं‑देखभाल (खाना बनाना, कपड़े पहनना), उत्पादक गतिविधि (शिक्षा, रोजगार, स्वैच्छिक कार्य) और अवकाश (रुचियाँ, सामाजिक सहभागिता) सभी शामिल हैं। OT का मूल मंत्र: करने योग्य बनाना, अर्थपूर्ण बनाना।
प्रारंभिक मूल्यांकन बहुस्तरीय होता है—क्लाइंट‑केंद्रित साक्षात्कार (COPM), शारीरिक परीक्षण (कमी हुई पकड़ शक्ति, गति सीमा), संज्ञानात्मक स्क्रीन (MoCA, Trail Making), और पर्यावरण समीक – रसोई का ले‑आउट, बस स्टॉप से दूरी, स्कूल में शोर स्तर। फिर OT और क्लाइंट SMART लक्ष्य तय करते हैं: “छह सप्ताह में व्हीलचेयर से बिस्तर ट्रांसफर की स्वतंत्रता”, “चार हफ्तों में दाहिने हाथ से 200 ml पानी उठाना”, या “दो महीने में ऑनलाइन क्लास के दौरान 30 मिनट बैठना”।
हस्तक्षेप त्रिवेणी है: (1) थैरेप्यूटिक गतिविधि – स्ट्रोक के बाद ब्रश चलाना दोबारा सिखाना, पहुंच योग्य अलमारी अभ्यास; (2) एडाप्टिव उपकरण – लंबा जुराब‑पहनाने वाला, विशेष की‑बोर्ड, टॉकिंग वॉच; (3) पर्यावरणीय संशोधन – रैम्प, ग्रैब बार, विरोधी स्लिप टाइल, प्रकाश‑संवेदना मित्रवत कक्षा। बच्चों में सेंसरी इन्टेग्रेशन झूला, ब्रशिंग प्रोटोकॉल या लेखन में ग्रिप‑एड इस्तेमाल होते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में OT “रोज़मर्रा की थैरेपी” देता है—डिप्रेशन में नहाना, भोजन बनाना, समय‑तालिका बनाना; स्किज़ोफ्रेनिया में सार्वजनिक परिवहन अभ्यास, बजट प्रबंधन, सामुदायिक उद्यान यात्रा। वर्क‑हार्डनिंग प्रोग्राम में वह ग्रेडेड वर्क‑सिमुलेशन कर पुन:नियोजन कराता है—कारखाने मजदूर के लिए पालेट उठाना, आईटी प्रोफेशनल के लिए बैठने‑खड़े होने का चक्र।
प्रशिक्षण: भारत में बी.ऑक्युपेशनल थेरेपी (4½ वर्ष), 6 महीने क्रोटशिप, फिर MSc/PhD. WFOT मान्यता अनिवार्य। हर 5 वर्ष में रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल हेतु 100 CPD क्रेडिट आवश्यक। विशेष रुचि वाले क्षेत्र—हाथ‑थेरेपी, न्यूरो‑रिहैब, जिरेएट्रिक, स्कूल‑आधारित सेवाएँ—के लिए फेलोशिप और सुपरवाइज्ड हँड‑ऑन क्लिनिक चाहिए।
कब मिलें? •स्ट्रोक/मस्तिष्क‑आघात के बाद दैनिक कार्य कठिन हों। •पार्किंसन या एम.एस. में कंपकंपी व थकान से दिनचर्या बिगड़े। •बच्चे को लेखन, पोशाक, या खेल में देरी हो। •ऑटिज़्म/एडीएचडी में सेंसरी ओवरलोड। •ऑफिस में लगातार पीठ दर्द/आरएसआई। OT क्रिएटिव समस्या‑सुलझाने वाला साथी बनकर कार्य, वातावरण और व्यक्ति—इन तीनों को अनुकूलित करता है, ताकि “मैं यह कर सकता/सकती हूँ” दोबारा सच हो।