
व्यावसायिक समस्याएँ अक्सर बैलेंस शीट पर दिखाई देने वाले घाटे से पहले दिमाग में घाटा पैदा करती हैं। जब लक्ष्य अस्थिर, बाज़ार अनिश्चित और संसाधन सीमित होते हैं, तो मालिक, प्रबंधक और कर्मचारी सभी अदृश्य मानसिक कर चुकाते हैं। सुबह की स्टैंड‑अप मीटिंग से लेकर देर रात की ‘ज़रूरी’ ई‑मेल तक, कार्यदिवस एक अंतहीन रिले दौड़ जैसा बन जाता है; पर baton गिरने पर दोषी कौन? व्यक्ति, प्रणाली या संस्कृति?व्यावसायिक समस्याएँ अक्सर बैलेंस शीट पर दिखाई देने वाले घाटे से पहले दिमाग में घाटा पैदा करती हैं। जब लक्ष्य अस्थिर, बाज़ार अनिश्चित और संसाधन सीमित होते हैं, तो मालिक, प्रबंधक और कर्मचारी सभी अदृश्य मानसिक कर चुकाते हैं। सुबह की स्टैंड‑अप मीटिंग से लेकर देर रात की ‘ज़रूरी’ ई‑मेल तक, कार्यदिवस एक अंतहीन रिले दौड़ जैसा बन जाता है; पर baton गिरने पर दोषी कौन? व्यक्ति, प्रणाली या संस्कृति?. व्यावसायिक समस्याएँ अक्सर बैलेंस शीट पर दिखाई देने वाले घाटे से पहले दिमाग में घाटा पैदा करती हैं। जब लक्ष्य अस्थिर, बाज़ार अनिश्चित और संसाधन सीमित होते हैं, तो मालिक, प्रबंधक और कर्मचारी सभी अदृश्य मानसिक कर चुकाते हैं। सुबह की स्टैंड‑अप मीटिंग से लेकर देर रात की ‘ज़रूरी’ ई‑मेल तक, कार्यदिवस एक अंतहीन रिले दौड़ जैसा बन जाता है; पर baton गिरने पर दोषी कौन? व्यक्ति, प्रणाली या संस्कृति?व्यावसायिक समस्याएँ अक्सर बैलेंस शीट पर दिखाई देने वाले घाटे से पहले दिमाग में घाटा पैदा करती हैं। जब लक्ष्य अस्थिर, बाज़ार अनिश्चित और संसाधन सीमित होते हैं, तो मालिक, प्रबंधक और कर्मचारी सभी अदृश्य मानसिक कर चुकाते हैं। सुबह की स्टैंड‑अप मीटिंग से लेकर देर रात की ‘ज़रूरी’ ई‑मेल तक, कार्यदिवस एक अंतहीन रिले दौड़ जैसा बन जाता है; पर baton गिरने पर दोषी कौन? व्यक्ति, प्रणाली या संस्कृति?. व्यावसायिक समस्याएँ अक्सर बैलेंस शीट पर दिखाई देने वाले घाटे से पहले दिमाग में घाटा पैदा करती हैं। जब लक्ष्य अस्थिर, बाज़ार अनिश्चित और संसाधन सीमित होते हैं, तो मालिक, प्रबंधक और कर्मचारी सभी अदृश्य मानसिक कर चुकाते हैं। सुबह की स्टैंड‑अप मीटिंग से लेकर देर रात की ‘ज़रूरी’ ई‑मेल तक, कार्यदिवस एक अंतहीन रिले दौड़ जैसा बन जाता है; पर baton