चिंता

चिंता

चिंता एक प्राकृतिक बचाव‑तंत्र है जो खतरे की आशंका पर शरीर‑मन को सतर्क करता है, किंतु जब यह तंत्र बिना वास्तविक खतरे के निरंतर सक्रिय रहे तो इसे ‘एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर’ कहा जाता है। भारत में लगभग 10–12 % वयस्क किसी न किसी प्रकार की नैदानिक चिंता से प्रभावित हैं—यथा सामान्यीकृत चिंता विकार, पैनिक डिसऑर्डर, सामाजिक भय या विशिष्ट फोबिया।

शरीरगत लक्षणों में तेज धड़कन, पसीना, कंपकंपी, पेट में मरोड़ और सांस फूलना शामिल हैं। मानसिक स्तर पर “अगर कुछ गलत हो गया तो?” जैसे भयकारी विचार, भविष्य‑केन्द्रित शंका और ध्यान केंद्रित न कर पाने की समस्या होती है। व्यवहार में टालमटोल, भीड़‑भाड़ से बचना या बार‑बार आश्वासन माँगना दिख सकता है, जिससे कार्य‑क्षमता और संबंध दोनों प्रभावित होते हैं।

कारण बहुआयामी हैं: आनुवंशिक प्रवृत्ति, बचपन में अप्रत्याशित भय का अनुभव, कठोर या ओवर‑प्रोटेक्टिव पालन‑पोषण, तथा मस्तिष्क में सेरोटोनिन‑नॉरएड्रेनालिन असंतुलन। एमिग्डाला की अतिसंवेदनशीलता और प्री‑फ्रंटल कॉर्टेक्स का कम निरोधक नियंत्रण चिंता सर्किट को सक्रिय रखते हैं।

उपचार के मुख्य आधार हैं—संज्ञानात्मक‑व्यवहार थेरेपी (CBT), औषधि और जीवन‑शैली संशोधन। CBT में नकारात्मक स्वचालित विचार पहचानकर तर्कसंगत विकल्प विकसित किए जाते हैं, और क्रमिक एक्सपोजर से परिहार चक्र तोड़ा जाता है। उदाहरणतः किसी को लिफ्ट‑भय है तो पहले ग्राउंड‑फ्लोर के कांच से लगी लिफ्ट देखना, फिर एक मंज़िल, धीरे‑धीरे समय और ऊंचाई बढ़ाना। दवाओं में SSRI या SNRI लम्बे समय तक संकेतों को नियंत्रित रखने में प्रभावी हैं, जबकि बेंज़ोडायज़ेपीन केवल तीव्र संकट में सीमित अवधि के लिए उपयोगी रहते हैं।

जीवनशैली में नियमित एरोबिक व्यायाम, प्राणायाम, मनन‑योग, कैफीन‑निकोटीन में कमी, और 7–8 घंटे गहरी नींद चिंता को कम करते हैं। ओमेगा‑3 और मैग्नीशियम‑समृद्ध आहार तंत्रिका‑संवहनी स्वास्थ्य सुधारते हैं। ध्यान तकनीक ‘5‑4‑3‑2‑1 ग्राउंडिंग’—पाँच दृश्य वस्तुएँ, चार स्पर्श‑संवेदन, तीन आवाज़, दो गंध, एक स्वाद—मस्तिष्क को वर्तमान में लाती है।

समर्थन‑तंत्र महत्त्वपूर्ण है: परिवार या मित्र को ‘दृढ़ सहानुभूति’ के साथ सुनना चाहिए—अतिरिक्त तसल्ली देने के बजाय व्यक्ति को कौशल लागू करने के लिए प्रोत्साहित करना। कार्यस्थल पर लचीले ब्रेक, शांत कोना, और सहायक पर्यवेक्षक पुन:एकीकृत होने में मदद करते हैं। स्कूलों‑कॉलेजों में परीक्षा‑तनाव प्रबंधन और काउंसलिंग केंद्र प्रभावी सिद्ध हुए हैं।

याद रखें, चिंता का उपचार एक यात्रा है, मंज़िल नहीं। उतार‑चढ़ाव सामान्य हैं; हर बार सीख बढ़ती है। शुरुआती संकेत पहचानकर साँस‑प्रश्वास व्यायाम करना, चिकित्सक से परामर्श जारी रखना और उपलब्धियों का उत्सव मनाना इस यात्रा को सरल बनाते हैं। समुचित उपचार, आत्म‑स्नेह और समर्थन से चिंता नियंत्रण में आ सकती है, जिससे व्यक्ति फिर से पूर्ण, सृजनशील और आश्वस्त जीवन जी सकता है।

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