
वीडियो गेम की लत तब होती है जब व्यक्ति का जीवन का प्रमुख फोकस गेम खेलना बन जाता है, जिससे उसके दैनिक कार्य, पढ़ाई, काम, परिवार और सामाजिक संबंध प्रभावित होते हैं। शुरुआत में मनोरंजन का साधन वीडियो गेम, धीरे-धीरे व्यक्ति के लिए संतुष्टि और तनाव निवारण का मुख्य तरीका बन जाता है, जो समय के साथ अनियंत्रित हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, गेमिंग लत दिमाग के इनाम प्रणाली से जुड़ी होती है। जैसे ही गेम में कोई उपलब्धि हासिल होती है, डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज़ होता है, जो आनन्द और ödüllendirme का अनुभव कराता है। लगातार इस प्रतिक्रिया के कारण व्यक्ति को अधिक गेम खेलने की ज़रूरत महसूस होती है, जिसके बिना वे अधूरा और बेचैन महसूस करते हैं।
लक्षणों में प्राथमिक रूप से जिम्मेदारियों की उपेक्षा शामिल है: पढ़ाई या काम करने में ध्यान नहीं लगता, नींद कम हो जाती है, खानपान में गड़बड़ी होती है और व्यक्तिगत स्वच्छता की अनदेखी होती है। गेम न खेलने पर चिड़चिड़ापन, बेचैनी और चिंता जैसी अवसादग्रस्त लक्षण उभरते हैं।
तंत्रिका विज्ञान के अनुसार, अत्यधिक गेमिंग से मस्तिष्क में संरचनात्मक और कार्यात्मक परिवर्तन हो सकते हैं, जैसे कि व्हाइट मैटर की मात्रा में बदलाव और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स कार्यों में कमी। इससे निर्णय लेने, ध्यान बनाए रखने और आत्म-नियंत्रण में कठिनाई होती है।
मनोवैज्ञानिक समस्याएं जैसे अवसाद, सामाजिक अलगाव, आत्म-सम्मान की कमी और अंतःकरण अपराधबोध गेम लत के साथ जुड़ी होती हैं। जोखिमभरे व्यवहारों में impulsivity, समय प्रबंधन में कमी और सामाजिक गतिविधियों से कट जाना शामिल है।
उपचार दृष्टिकोण में संज्ञानात्मक–व्यवहार थेरेपी (CBT) महत्वपूर्ण है, जिसमें बेकार सोच और आदतों को बदलने के लिए तकनीकें सिखाई जाती हैं। खेल-आधारित व्यायाम, परिवार चिकित्सा और समर्थन समूह लत से उबरने में सहायक होते हैं।
व्यवहारिक सुझावों में दैनिक दिनचर्या बनाना, गेमिंग के लिए सीमित समय निर्धारित करना और बाहरी सामाजिक गतिविधियों में संलग्न होना शामिल है। समय-नियंत्रण ऐप्स, डिवाइस ब्लॉकिंग टूल और अलार्म सेट करना प्रतिबंधात्मक रणनीतियाँ हैं जो खेल के घंटे सीमित रखती हैं।
परिवार और मित्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें व्यक्ति को समझना चाहिए, आलोचना के बजाय समर्थन देना चाहिए, और व्यावहारिक कदम उठाने में मदद करनी चाहिए जैसे कि गेम ओपनिंग के समय को कम करना या वैकल्पिक गतिविधियाँ सुझाना।
स्कूल और वर्कप्लेस लॉन्सर्स लत से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम और समय-प्रबंधन वर्कशॉप्स आयोजित कर सकते हैं। इससे लोग स्वस्थ डिजिटल जीवनशैली की ओर बढ़ सकते हैं।
अंततः, वीडियो गेम की लत एक गंभीर व्यवहारिक समस्या है लेकिन सही इलाज, समर्थन और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से इससे उबारा जा सकता है। लक्ष्य गेमिंग को मारने का नहीं बल्कि नियंत्रण में रखने का होना चाहिए, ताकि व्यक्ति संतुलित, पूर्ण और भावनात्मक रूप से स्वस्थ जीवन जी सके।