
ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरी (Traumatic Brain Injury, TBI) तब होती है जब कोई बाहरी ज़ोरदार आघात, जैसे सड़क दुर्घटना, तेज़ी से गिरना या शारीरिक हमले के कारण मस्तिष्क को चोट पहुँचती है। इस चोट से मस्तिष्क के ऊतकों में सूजन, रक्तस्राव और न्यूरोनल क्षति होती है, जो त्वरित और देर से होने वाली दोनों तरह की समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है।
TBI को गंभीरता के आधार पर मापा जाता है: ग्लासगो कोमा स्केल (Glasgow Coma Scale, GCS) के स्कोर से यह तय होता है कि चोट हल्की (GCS 13–15), मध्यम (GCS 9–12) या गंभीर (GCS ≤ 8) है। हल्की चोट में सिर दर्द, भ्रम की अवस्था और अल्पकालिक स्मृति हानि होती है, जबकि गंभीर चोट में कोमा, दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल विकार और जीवन-संरक्षण चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है।
फिजियोलॉजिकल रूप से, TBI के कारण मस्तिष्क का रक्त–मस्तिष्क अवरोध (blood–brain barrier) टूट सकता है, जिससे सूजन और न्यूरो-इन्फ्लेमेशन बढ़ता है। इस समस्या से न्यूरोट्रांसमीटर संकेत प्रणाली असंतुलित हो जाती है, विशेषकर ग्लूटामेट और डोपामिन की मात्रा प्रभावित होती है।
शारीरिक लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर, उल्टी, संतुलन में कमी, मांसपेशियों की अकड़न और संवेदनासम्बंधी बदलाव होते हैं। गंभीर मामलों में दौरे पड़ना (convulsions), पक्षाघात (hemiplegia) और जीवन–धार्मिक सांस लेने में समस्या हो सकती है।
बौद्धिक प्रभावों में स्मृति हानि, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, विचारों का धीमा प्रवाह और कार्यकारी कार्यों में असमर्थता शामिल है। रोगी योजनाबद्ध कार्य, समस्या समाधान और बहुकार्य (multitasking) में कमी महसूस करता है।
भावनात्मक और व्यवहार संबंधी परिणामों में अवसाद, चिंता, चिड़चिड़ापन और सामाजिक अलगाव हैं। TBI के बाद आक्रामकपन बढ़ सकता है, जिससे पारिवारिक और पेशेवर संबंधों में तनाव पैदा होता है।
तीव्र चिकित्सा में जीवन–समर्थन प्रणाली, इंट्राक्रेनियल प्रेशर (ICP) मॉनिटरिंग और आवश्यकतानुसार सर्जिकल डिक्रेनियलाइजेशन (hematoma evacuation) शामिल है। चोट के बाद के चरण में न्यूरोरेहैबिलिटेशन सही मायनों में महत्वपूर्ण होता है।
न्यूरोरेहैबिलिटेशन में फिजियोथेरेपी, व्यावसायिक थेरेपी (occupational therapy), स्पीच थेरेपी और संज्ञानात्मक पुनर्वास (cognitive rehabilitation) शामिल होते हैं। इस बहुआयामी दृष्टिकोण का उद्देश्य मरीज की आत्मनिर्भरता बढ़ाना और दैनिक गतिविधियों में सुधार लाना है।
लंबी अवधि की देखभाल में मनोवैज्ञानिक समर्थन, महसूसात्मक सहारा (peer support), और पारिवारिक परामर्श महत्वपूर्ण हैं। परिवार को TBI की प्रक्रिया और देखभाल की तकनीकें सिखा कर घर पर बेहतर सहायता दी जा सकती है।
निवारक उपायों में सुरक्षा उपकरणों का उपयोग, दुर्घटना सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन, गिरने की स्थितियों से बचाव, और हेलमेट इस्तेमाल शामिल हैं। भविष्य में आघातरोधी उपचार और आसानता-आधारित पुनर्वास तकनीकों से TBI से पीड़ित मरीजों की जीवन गुणवत्ता में और सुधार होने की संभावनाएँ हैं।