आघात और पीटीएसडी

आघात और पीटीएसडी

आघात (Trauma) तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी ऐसी घटना का सामना करता है जिसके दौरान या उसके बाद उसे अत्यधिक भयानक, असहनीय या अद्वितीय डरावना अनुभव होता है। ये घटनाएँ प्राकृतिक आपदाएँ, सड़क दुर्घटनाएँ, शारीरिक या यौन हमला, सैन्य संघर्ष या जानलेवा स्वास्थ्य संबंधी स्थितियाँ हो सकती हैं। आघात मस्तिष्क में चेतना और भावनाओं को नियंत्रित करने वाले तंत्रों को गहराई से प्रभावित करता है।

पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), आघात के बाद उत्पन्न होने वाले तीव्र तनाव प्रतिक्रियाओं का स्थायी रूप है। PTSD वाले व्यक्ति बार-बार वह दर्दनाक घटना नए सिरे से जीता है, जिसमें फ्लैशबैक, भयावह सपने और अचानक घबराहट शामिल होती है। शारीरिक लक्षणों में तेजी से दिल की धड़कन, पसीना, कंपकंपी और सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकते हैं।

पीड़ित अक्सर उन स्थानों, लोगों और चीजों से बचने की कोशिश करते हैं जो आघात की याद दिला सकते हैं। भावनात्मक ठंडापन, उदासीनता और सामाजिक अलगाव आम हैं। इसके अलावा, लोग अत्यधिक सतर्कता (hypervigilance), नींद में खलल और गुस्से के विस्फोट जैसी समस्याएँ महसूस कर सकते हैं।

PTSD व्यक्ति के रिश्तों, कामकाज और रोजमर्रा के कार्यों को बुरी तरह प्रभावित करता है। अक्सर अवसाद, चिड़चिड़ापन और आत्म-हत्या के विचार उत्पन्न हो जाते हैं। कुछ लोग आघात से निपटने की कोशिश में मद्य या नशीली दवाओं का सेवन करके अस्थायी राहत खोजते हैं, जिससे और गंभीर समस्या पैदा होती है।

मनोचिकित्सक या क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक PTSD का निदान मानकीकृत DSM-5 या ICD-11 मापदंडों के आधार पर करते हैं। यह निदान विस्तृत मानसिक स्थिति परीक्षा, लक्षणों की अवधि, तीव्रता और कार्यक्षमता पर प्रभाव के मूल्यांकन पर आधारित होता है। कभी-कभी जैविक कारणों जैसे हार्मोनल असंतुलन या न्यूरोलॉजिकल विकारों को बाहर करने के लिए टेस्ट किए जाते हैं।

PTSD का इलाज बहुआयामी होना चाहिए। संगठित थेरेपी में शामिल हैं: संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT), जिसमें नकारात्मक सोच को पहचानकर बदलना सिखाया जाता है; इमेज एक्सपोजर थैरेपी (Exposure Therapy), जिसमें नियंत्रित रूप से आघात संबंधी स्मृतियों का सामना कराया जाता है; और EMDR (Eye Movement Desensitization and Reprocessing), जो आघात संबंधी स्मृतियों की तीव्रता को कम करता है।

मेडिकेशन में एसएसआरआई (SSRI) जैसे एंटीडिप्रेसेंट्स शामिल होते हैं, जो मूड और चिंता के लक्षणों को नियंत्रित करते हैं। कुछ मामलों में, प्राज़ोसिन (prazosin) का उपयोग खौफ़नाक सपनों को कम करने में मदद करता है। दवाएं और चिकित्सा निगरानी नियमित रूप से की जाती हैं।

समूह चिकित्सा और सहकर्मी समर्थन महत्वपूर्ण हैं। PTSD से पीड़ित व्यक्ति जब समान अनुभव वाले अन्य लोगों से मिलते हैं, तो उन्हें समझ और उम्मीद मिलती है। ऐसी बैठकों में सांझा कहानियाँ अकेलेपन को दूर करती हैं और स्वस्थ प्रतिरूप दिखाती हैं।

स्व-देखभाल तकनीकें जैसे गहरी सांस अभ्यास, योग और माइंडफुलनेस ध्यान तनाव कम करती हैं और आत्म-नियंत्रण बढ़ाती हैं। स्वस्थ दिनचर्या, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जैविक और मानसिक भलाई में सहायक होते हैं।

समग्र दृष्टिकोण अपनाने से, जिसमें चिकित्सा, मनोचिकित्सा, सामाजिक समर्थन और जीवन शैली परिवर्तन शामिल हों, PTSD से उभरना संभव होता है। सही समय पर प्राप्त की गई देखभाल और लगातार समर्थन से लोग पुनः सामान्य जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

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