असामाजिक व्यक्तित्व

असामाजिक व्यक्तित्व

असामाजिक व्यक्तित्व विकार (ASPD) एक व्यवहारिक प्रतिमान है जिसमें व्यक्ति लगातार सामाजिक मानदंडों की अवहेलना करता है, दूसरों के अधिकारों को अनदेखा करता है और अपराध या हानि के प्रति पश्चाताप नहीं दिखाता। इसे सामान्य भाषा में ‘साइकोपैथ’ या ‘सोशियोपैथ’ कहा जाता है, किंतु चिकित्सकीय निदान के लिए DSM‑5 में निर्धारित मानदंड आवश्यक हैं—18 वर्ष से ऊपर की आयु और 15 वर्ष के बाद से जारी नियम‑उल्लंघन एवं आक्रामकता का इतिहास। सामान्य जनसंख्या में यह 1–3 % तक और कारावासित समूहों में 40 % से अधिक तक पाया जा सकता है।

ASPD के कारण बहुआयामी हैं—अनुवांशिक प्रविधि, प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में संरचनात्मक कमी, एमिग्डाला हाइपर‑रीएक्टिविटी, बचपन में गंभीर उपेक्षा या हिंसा, और असंगत पालन‑पोषण शैली। अनुसंधान बताता है कि MAOA जीन की कम गतिविधि और कम सेरोटोनिन स्तर, आवेगशील हिंसा तथा संवेदना‑अभाव से जुड़े हैं। सुरक्षित लगाव, सहानुभूति शिक्षा और स्पष्ट सीमाएँ इन जोखिमों को आंशिक रूप से संतुलित कर सकती हैं।

निदान की प्रक्रिया में चिकित्सक दीर्घकालिक पैटर्न का निरीक्षण करता है: बार‑बार की गिरफ़्तारी, झूठ, वित्तीय गैर‑जिम्मेदारी, जोखिम भरा व्यवहार, सहानुभूति का अभाव। भेदकारी निदान करने से बाइपोलर मैनीया, बॉर्डरलाइन गुण और नशीली दवा विकार जैसी स्थितियों को सही उपचार मिल पाता है। कई व्यक्तियों को अदालत, नियोक्ता या परिवारजन द्वारा चिकित्सकीय सहायता लेने को बाध्य होना पड़ता है—ऐसे में चिकित्सक का सम्मानपूर्ण रुख उपचार अनुबंधन में सहायक होता है।

उपचार में संज्ञानात्मक‑व्यवहार तकनीकें प्रमुख हैं। अपराधी सोच (“मैं नियम से ऊपर हूँ”) की पहचान, नैतिक विकल्पों के परिणाम दिखाना, और दीर्घकालिक लक्ष्यों—रोज़गार, सुरक्षित आवास, संबंध—पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। डायलैक्टिकल बिहेवियर थैरेपी के प्रदर्शन‑निर्देशित सत्र भावना‑नियमन और संकट सहिष्णुता सिखाते हैं जो हिंसक प्रतिक्रिया को कम करते हैं। सहवर्ती ADHD या पदार्थ‑उपयोग में औषधि—स्टिमुलेंट या नाल्ट्रेक्सोन—आवेग घटाने में सहायक हो सकती है, परंतु औषधि अकेली निर्णायक नहीं होती।

पुनर्सामाजिकरण की योजना क्रमिक होती है: दैनिक दिनचर्या, व्यावसायिक प्रशिक्षण, संरक्षित कार्य‑पर्यावरण और सकारात्मक सामुदायिक भागीदारी। संरक्षक (मेंटोर) कार्यक्रम व्यवहार को प्रोत्साहित करने वाली भूमिका‑मॉडलिंग प्रदान करते हैं। परिवार‑परामर्श यह सुनिश्चित करता है कि सीमाएँ स्पष्ट रहें और सहनिर्भर/शोषणकारी चक्र न दोहराए जाएँ।

समाज के लिए चुनौती सुरक्षा और पुनर्वास का संतुलित मिश्रण है। इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, नशीली दवाओं के परीक्षण, और चरणबद्ध प्रोत्साहन—जैसे प्रमाणित कौशल पाठ्यक्रम—पुनरावृत्ति दर घटाते हैं। न्यूरोप्लास्टिसिटी के साक्ष्य दर्शाते हैं कि 20 के दशक के बाद भी मस्तिष्क परिवर्तनशील रहता है, इसलिए स्थायी सुधार की संभावना बनी रहती है। निरंतर निगरानी, पारदर्शी प्रतिक्रिया और संरचनात्मक समर्थन के साथ, ASPD से ग्रसित व्यक्ति भी समाजोपयोगी जीवनशैली अपनाने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

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