मादक द्रव्यों के सेवन का विकार

मादक द्रव्यों के सेवन का विकार

मादक पदार्थ उपयोग विकार (Substance Use Disorder) उन स्थितियों को दर्शाता है जहाँ कोई व्यक्ति अल्कोहल, नशीली दवाओं या अन्य मादक पदार्थों का सेवन तब तक करता रहता है जब तक यह उसके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करने लगे। प्रारंभ में आनंद की खोज के लिए शुरू हुआ उपयोग धीरे-धीरे अनियंत्रित आदत में बदल जाता है।

मस्तिष्क के इनाम प्रणाली में डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मादक पदार्थों का सेवन इन रसायनों के स्तर को अस्थायी रूप से बढ़ाता है, लेकिन समय के साथ दिमाग भूल जाता है कि स्वयं तनाव कम करना कैसे है, और व्यक्ति को पुनः वही प्रभाव महसूस करने के लिए अधिक मात्रा में पदार्थ की जरूरत पड़ती है। यह सहिष्णुता (tolerance) कहलाता है।

ध्यानपूर्वक रोकथाम करते हुए उपयोग बंद करने पर व्यक्ति तीव्र भौतिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों का सामना कर सकता है, जिसे वंचना (withdrawal) कहते हैं। इसमें बेचैनी, पसीना आना, थकान, मिचली, चिड़चिड़ापन और नींद की समस्या जैसी समस्याएँ शामिल हो सकती हैं।

उपचार में अक्सर दवाओं और मनोरोग चिकित्सा का संयोजन शामिल होता है। मादक पदार्थों की craving कम करने के लिए मेडिकेशन (जैसे मथाडोन, बूप्रेनोर्फिन, नाल्ट्रेक्सोन) का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (CBT) और मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग (MI) जैसी मनोचिकित्सा तकनीकों से व्यक्ति को व्यवहार परिवर्तन और तनाव प्रबंधन में सहायता मिलती है।

समूह आधारित समर्थन, जैसे अनामी अल्कोहलिक्स (AA) या नारकॉटिक्स अनामी (NA), उन लोगों के लिए सामुदायिक मंच प्रदान करता है जो समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इन समूहों में अनुभव साझा करना, जिम्मेदारी की भावना बनाए रखता है और आत्म-प्रेरणा का स्रोत होता है।

पहले चरण की रोकथाम में शिक्षा और जन-जागरण परियोजनाएँ महत्वपूर्ण हैं। स्कूलों और समुदायों में मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों पर जागरूकता फैलाने से युवा पीढ़ी को जोखिमों से अवगत कराया जा सकता है, जिससे वे दर्शनीय दबाव से बच सकते हैं।

नियमित फॉलो-अप, व्यक्तिगत देखभाल योजनाएँ और पुनर्वास प्रोग्राम, व्यक्ति को वापस पुराने आचरण में लौटने से रोकते हैं। डिजिटल हेल्थ टूल्स और टेली-हेल्थ सेवाएँ इलाज को निरंतर और सुलभ बनाती हैं।

अनुसंधान दर्शाता है कि एक बहुआयामी, दीर्घकालिक और व्यक्तिविशेषकृत दृष्टिकोण से ही स्थायी सफलता मिलती है। चिकित्सीय, मनोचिकित्सीय और सामाजिक सहायता मिले तो व्यक्ति मादक पदार्थ उपयोग विकार से उबरकर पुनः पूर्ण जीवन जी सकता है।

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