
तनाव (Stress) बाहरी दबाव या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों पर शरीर और मन की प्रतिक्रिया है। जब हम किसी स्थिति को खतरनाक, भारी या मुश्किल के रूप में अनुभव करते हैं, तो हमारे शरीर में एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे 'तनाव हार्मोन' का स्तर बढ़ जाता है, जिससे 'लड़ो या भागो' प्रतिक्रिया सक्रिय होती है।
दीर्घकालिक तनाव के शारीरिक लक्षणों में लगातार थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, पाचन संबंधी समस्याएँ और दिल की धड़कन का तेज होना शामिल हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और उच्च रक्तचाप व हृदय रोगों का जोखिम भी बढ़ता है।
मानसिक और भावनात्मक लक्षणों में चिड़चिड़ापन, चिंता, अवसाद, एकाग्रता में कमी और नींद न आना प्रमुख हैं। लगातार तनाव व्यक्ति को खराब मूड, उदासी और आत्म-सम्मान में कमी महसूस करा सकता है, और मनोवैज्ञानिक रूप से थकावट या बर्नआउट का कारण बन सकता है।
तनाव के कारणों में काम का दबाव, वित्तीय समस्याएँ, पारिवारिक टकराव या किसी प्रियजन की मृत्यु जैसी जीवन में बड़े परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। व्यक्ति की तनाव समझने और संभालने की क्षमता भी महत्वपूर्ण होती है; कुछ लोग कम तनावग्रस्त होते हैं जबकि कुछ आसानी से तनाव का अनुभव करते हैं।
तनाव प्रबंधन के उपाय शुरुआती और दीर्घकालिक दोनों हो सकते हैं। शुरुआती राहत के लिए गहरी साँस लेना, प्रगतिशील मांसपेशियों को कम तनाव देना और ध्यान (meditation) का अभ्यास सहायक होता है। ये तकनीकें मस्तिष्क को संतुलित करने, हृदय गति कम करने और मांसपेशियों की शिथिलीकरण में मदद करती हैं।
दीर्घकालिक उपायों में नियमित रूप से व्यायाम करना, संतुलित आहार लेना, पर्याप्त नींद लेना और सकारात्मक मनोरंजन गतिविधियाँ शामिल हैं। योग, ताई ची और ध्यान जैसी गतिविधियाँ शरीर और मन को मजबूत बनाती हैं और तनाव हार्मोन को नियंत्रित रखती हैं।
सामाजिक समर्थन तनाव प्रबंधन का दूसरा आधार है। मित्रों, परिवार या सहयोगियों से बात करने से भावनात्मक राहत मिलती है और अलगाव की भावना कम होती है। समूह थेरेपी या समर्थन समूह भी संकट के समय में सहारा देते हैं।
तनाव ट्रिगर्स को पहचानने के लिए तनाव डायरी रखना उपयोगी होता है। दिन भर के तनावजनक घटनाओं और अपनी प्रतिक्रियाओं को दर्ज करके, आप यह जान सकते हैं कि किन स्थितियों में आपको निर्माणात्मक नीतियाँ अपनानी चाहिए।
समय प्रबंधन और प्राथमिकताएँ तय करना, कार्यों को छोटे टुकड़ों में विभाजित करना और बीच-बीच में छोटे ब्रेक ले कर आप कार्यभार को संतुलित रख सकते हैं। यह बर्नआउट से बचने और मनोवैज्ञानिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
स्वयं के प्रति दया और सहानुभूति दिखाना, तनाव कम करने की अंतिम कुंजी है। जानें कि तनाव का अनुभव करना सामान्य है, और खुद को परिपूर्ण बनाने का दबाव छोड़ें। छोटे-छोटे सकारात्मक क्षणों को पहचानें और उन पर ध्यान दें, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहे।