नींद या अनिद्रा

नींद या अनिद्रा

नींद प्रकृति का पुनर्भरण तंत्र है—जब हम सोते हैं तो मस्तिष्क दिनभर की सूचनाओं को छाँटता, विषाक्त अपशिष्ट साफ करता और स्मृतियों को सुदृढ़ करता है। अनिद्रा (इन्सोमनिया) होने पर यह सहज प्रक्रिया बाधित हो जाती है और रात्रि एक लंबी, थकाऊ प्रतीक्षा में बदल जाती है। बिस्तर पर लेटते ही विचारों की रेलगाड़ी चल पड़ती है—‘कितनी घड़ी गई? कल परीक्षा है, अगर नहीं सो पाया तो?’ आँखें भले बंद हों, लेकिन चिंताओं की खिड़कियाँ चौड़ी खुली रहती हैं। कभी घंटों तक नींद नहीं आती, कभी बार‑बार बीच रात में नींद टूटती है, और सुबह बॉडी हल्की नहीं बल्कि बोझिल महसूस होती है।

अनिद्रा के कारण बहुआयामी होते हैं। क्रॉनिक तनाव, अवसाद, चिंता विकार, शारीरिक दर्द, थायरॉयड या श्वसन समस्‍याएँ, गर्भावस्था के बाद का परिवर्तन, या पारी‑शिफ्ट वाला काम शरीर की जैव‑घड़ी को बदल देते हैं। कैफीन, निकोटीन, देर रात तक मोबाइल स्क्रीन से निकलती नीली रोशनी, अनियमित सोने‑जागने का समय और बेडरूम का अधिक उजाला या गर्म वातावरण भी मेलाटोनिन के स्राव को बाधित करते हैं।

उपचार सबसे पहले ‘स्लीप हाइजीन’ से शुरू होता है: प्रतिदिन एक ही समय पर उठना, सोने से दो घंटे पहले भारी खाना व कैफीन छोड़ना, बेडरूम को ठंडा, शांत व अंधेरा रखना और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दूर रखना। यदि बीस मिनट में नींद न आए तो उठकर किसी शांत योग‑साँस या हल्का अध्ययन करना, फिर नींद आने पर वापस बिस्तर में जाना उपयोगी होता है। इस तरह मस्तिष्क दोबारा सीखता है कि ‘बिस्तर = निद्रा’ है, न कि चिंता का अखाड़ा।

संज्ञानात्मक‑व्यवहारिक चिकित्सा‑इन्सोमनिया (CBT‑I) उन नकारात्मक विश्वासों की जाँच करती है जो नींद को और कठिन बना देते हैं—‘अगर छह घंटे से कम सोया तो कुछ भी नहीं कर पाऊँगा।’ थेरेपी इन विचारों को तथ्य‑आधारित, संतुलित सोच से बदलती है। प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन, योग‑निद्रा, प्राणायाम व माइंडफुलनेस चिंतित तंत्रिका‑तंत्र को शांत कर parasympathetic सक्रियता बढ़ाते हैं। कुछ मामलों में लघु अवधि के लिए मेलाटोनिन या डॉक्टर द्वारा नियंत्रित Z‑दवाएँ उपयोग की जाती हैं; लेकिन दीर्घकालिक समाधान आदतों की मरम्मत है, न कि गोली की निर्भरता।

लगातार नींद की कमी हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, प्रतिरक्षा में गिरावट और मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा बढ़ाती है। इसी कारण नींद को प्राथमिकता देना आत्म‑देखभाल का आधार स्तंभ माना जाता है। जैसे‑जैसे संतुलित दिनचर्या बनती है, शरीर अपनी प्राकृतिक लय फिर से हासिल कर लेता है और रात्रि विश्राम एक तनाव न होकर सुखद विराम बन जाता है। याद रखें—हर अच्छी सुबह की शुरुआत पिछली रात की अच्छी नींद से होती है; और अच्छी नींद आपके हाथों में है, अनुशासन और करुणा के संयोजन से।

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