
आत्म-हानि (Self-Harm) वह व्यवहार है जिसमें व्यक्ति बिना सुицाइड की इच्छा के अपने शरीर को जानबूझकर चोट पहुँचाता है। यह अक्सर अत्यधिक आघात, चिंता, गहरी उदासी या गुस्से जैसी भावनाओं का सामना करने का एक तरीका होता है, जब व्यक्ति अन्यथा इन भावनाओं को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाता।
आत्म-हानि के रूप में अपनी कलाई या जांघ पर कट लगाना, त्वचा जलाना, सिर या दीवार में जोर से पीटना, खुद को खरोंचना या ताबड़तोड़ धक्का मारना शामिल हो सकता है। ये क्रियाएँ तात्कालिक शारीरिक दर्द के ज़रिए भावनात्मक राहत देती हैं, लेकिन जल्दी ही व्यक्ति को पछतावा, शर्म या गहरा अपराधबोध महसूस हो सकता है।
आत्म-हानि अक्सर अवसाद, चिंता विकार, पोस्ट-ट्राउमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) या बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ी होती है। बचपन में हुए आघात, दुर्व्यवहार या उपेक्षा इसके पीछे के सामान्य कारण हो सकते हैं, जिससे व्यक्ति के भावनात्मक दर्द को शारीरिक रूप में प्रकट किया जाता है।
उपचार के लिए मनोचिकित्सा सबसे प्रभावी विधि मानी जाती है, विशेष रूप से संज्ञानात्मक–व्यवहार थेरेपी (CBT) और डायलैक्टिकल बिहेवियर थैरेपी (DBT)। इन थैरेपीज़ में व्यक्ति को अपनी भावनाओं और सोच को समझना, नकारात्मक विचारों को बदलना और स्वस्थ प्रतिरक्षा रणनीतियाँ अपनाना सिखाया जाता है।
जब आत्म-हानि की इच्छा आती है, तो ठंडे पैक का उपयोग करना, गहरी साँस लेने के अभ्यास, तनाव से निपटने के लिए जर्नलिंग या संगीत सुनना जैसे वैकल्पिक तरीके अपनाना लाभदायक होता है। ये गतिविधियाँ दर्द को शारीरिक रूप से संबोधित किए बिना भावनात्मक तनाव को कम कर सकती हैं।
मदद के लिए परिवार, मित्र और समर्थन समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक सहानुभूतिपूर्ण सुनवाई, आलोचना-मुक्त माहौल और मिलकर संकटकालीन योजना तैयार करना, व्यक्ति को अकेलापन महसूस होने से बचाता है और कार्यात्मक जीवन की ओर मार्गदर्शन करता है।
स्व-देखभाल, जैसे नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और माइंडफुलनेस मेडिटेशन, मानसिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। व्यायाम से सेरोटोनिन और डोपामिन जैसी मूड-बूस्टिंग केमिकल्स रिलीज़ होती हैं, जिससे सकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न होती हैं।
लंबी अवधि का पुनर्प्राप्ति मार्गदर्शन, जिसमें पर्याप्त चिकित्सा निगरानी, निरंतर थेरेपी सत्र और फिटनेस या कलात्मक गतिविधियों में भागीदारी शामिल हो, आत्म-हानि की प्रवृत्ति को कम करने में मदद करता है। समग्र दृष्टिकोण से, व्यक्ति आत्म-हानि की आदत छोड़ कर जीवन की गुणवत्ता बढ़ा सकता है और सुरक्षित मानसिक स्वास्थ्य हासिल कर सकता है।