
क्रोध एक प्रमुख मानवीय भावना है, जो अन्याय या खतरे के विरुद्ध शरीर को तत्पर करती है, परंतु अनियंत्रित होने पर यह संबंधों, स्वास्थ्य और आत्म‑सम्मान को क्षति पहुँचा सकती है। ‘एंगर‑मैनेजमेंट’ का उद्देश्य क्रोध को दबाना नहीं, बल्कि उसकी तह में छिपे संकेतों को समझकर उसे रचनात्मक दिशा देना है। शोध दर्शाते हैं कि तीव्र क्रोध की बार‑बार की अवस्थाएँ उच्च रक्तचाप, मायोकार्डियल इंफार्क्शन और अवसाद से सम्बद्ध हैं।
पहला चरण जागरूकता है—शारीरिक चेतावनियों को पहचानना। माथे पर तनाव, हाथों में कम्पन, हृदय की धड़कन तेज, गर्माहट की लहर—ये संकेत बताते हैं कि शरीर ‘लड़ो या भागो’ मोड में जा रहा है। प्रशिक्षक ‘क्रोध पैमाना’ अपनाने को कहते हैं: 0 शांत, 10 विस्फोट। यदि स्तर 5 पर ही रोक लग जाए, तो नुकसान से बचा जा सकता है।
दूसरा चरण विचार‑पुनर्रचना है। स्वचालित सोचें जैसे “कोई मेरी परवाह नहीं करता” या “मुझे अपमानित किया गया” अक्सर वास्तविकता को बढ़ा‑चढ़ाकर पेश करती हैं। संज्ञानात्मक‑व्यवहार थेरेपी में व्यक्ति प्रमाण ढूंढता है—क्या हर बार ऐसा ही होता है? क्या दूसरा पक्ष कुछ और सोच रहा होगा? परिस्थिति को नए फ्रेम में देखने से भावनात्मक आवेश घटता है।
सामानांतर, श्वसन तकनीकें एवं प्रगतिशील माँसपेशी शिथिलन अभ्यास किए जाते हैं। उदाहरण: 4 सेकंड में श्वास, 4 सेकंड रोकना, 6 सेकंड में छोड़ना। यह वेगस तंत्रिका को सक्रिय कर परजीवरस तंत्र को बल देता है, जिससे हृदय गति व रक्तचाप नियंत्रित होते हैं। योगासन, विशेषकर भुजंगासन और शवासन, भी परिसंचरण व तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं।
शारीरिक व्यायाम क्रोध के रसायन—ऐड्रेनलिन—को प्राकृतिक रूप से खपा देता है। सूर्य‑नमस्कार, दौड़ना या रोप स्किपिंग, मस्तिष्क में एंडोर्फिन बढ़ाकर सकारात्मक मनोदशा लाते हैं। संतुलित आहार—पर्याप्त प्रोटीन, ओमेगा‑3, और मैग्नीशियम—न्यूरोट्रांसमीटर संतुलन सुधारता है और चिड़चिड़ापन घटाता है। नींद से वंचित दिमाग त्वरित उत्तेजना की ओर झुकता है, इसलिए 7–8 घंटे गहरी नींद लेना अनिवार्य है।
संचार कौशल क्रोध‑नियंत्रण की रीढ़ है। ‘मैं‑वाक्य‘ उपयोग—“मैं निराश महसूस करता हूँ जब…”—दोषारोपण कम करता है। सक्रिय सुनना और दृष्टिकोण पुनरावृत्ति (“मैं समझ रहा हूँ कि आप…” ) संघर्ष को सहयोगात्मक बनाता है। परिवार‑सत्रों में भूमिकाएँ स्पष्ट की जाती हैं, ताकि जिम्मेदारियों की असमानता से उपजा रोष घटे।
माइंडफुलनेस एवं आत्म‑करुणा अभ्यास, क्रोध की तरंग को देखते‑देखते शांत करना सिखाते हैं। ध्यान का 10‑मिनट सत्र, प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में सक्रियता बढ़ाकर आवेग नियंत्रण सक्षम बनाता है। कई ऐप्स दिल की धड़कन और आवाज़ की तीव्रता पर फीडबैक देती हैं, जिससे व्यक्ति रियल‑टाइम में ब्रेक ले सके।
कुछ मामलों में सहवर्ती ADHD, बाइपोलर या पदार्थ‑उपयोग विकार होता है; ऐसे में औषधि—SSRI या मूड‑स्टेबलाइज़र—क्रोध की ‘सेट‑पॉइंट’ कम कर सकती है, लेकिन केवल अस्थायी सहारा है। अंतिम लक्ष्य स्वाधीन आत्म‑नियमन है।
एक संपूर्ण प्रोग्राम 8–14 सत्रों तक चलता है और रिलीप्स रोकथाम योजना से सम्पन्न होता है: चेतावनी संकेतों की सूची, विश्वसनीय व्यक्ति से संपर्क, और वैकल्पिक गतिविधियों (चित्रांकन, वादन, बागवानी) का संलेखन। इस प्रकार क्रोध, विनाशकारी विस्फोट के बजाय परिवर्तन की प्रेरक शक्ति बन सकता है, जिससे व्यक्ति और समाज दोनों लाभान्वित होते हैं।