
साइकिया यानी मानसिकता का अभिसरण (Psychosis) एक गंभीर मानसिक विकार है, जिसमें व्यक्ति को वास्तविकता का भान खोने जैसा लगता है। उनके मन में भ्रामक विचार (delusions) बनते हैं, जैसे उन्हें कोई जासूसी कर रहा है या उनकी पहचान बदल जाने का डर रहता है। वह आवाज़ें सुन सकते हैं (hallucinations), जो दूसरों के लिए मौजूद नहीं होतीं, और भ्रम की स्थिति में आकर व्यवहार कर सकते हैं।
विचारों का प्रवाह अव्यवस्थित हो जाता है। व्यक्ति का बोलना अचानक रुक-फिर सकता है, या एक ही विषय पर चिपककर दोहरा सकता है। भावनात्मक अभिव्यक्ति अप्रत्याशित हो सकती है—कभी अत्यधिक उत्साह, कभी अचानक उदासी या क्रोध आ जाना आम है। दिनचर्यात्मक कार्य जैसे साफ-सफाई, व्यक्तिगत स्वच्छता या सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेना भी प्रभावित हो सकता है।
साइकिया के कारणों में आनुवांशिक प्रवृत्ति (genetic predisposition), मस्तिष्क के कुछ रसायनों (neurotransmitters) जैसे डोपामिन और ग्लूटामेट का असंतुलन, और मस्तिष्क संरचनात्मक परिवर्तनों की भूमिका होती है। साथ ही, तीव्र तनाव, पारिवारिक या व्यक्तिगत द्वंद्व, आघात, और मादक पदार्थों का सेवन—विशेषकर गांजा, एलएसडी और एम्फ़ेटामीन—उत्प्रेरक बन सकते हैं।
निदान के लिए मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (psychiatrist या clinical psychologist) DSM-5 या ICD-10 मापदंडों के तहत मूल्यांकन करते हैं। इसमें विस्तृत मानसिक स्थिति परीक्षा (MSE), रोगी के इतिहास, लक्षणों की अवधि, तीव्रता और दैनिक जीवन पर असर को ध्यान में रखा जाता है। जैविक कारणों की जांच के लिए रक्त जांच, इमेजिंग (MRI, CT) और न्यूरोलॉजिकल परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
इलाज में एंटीसाइकोटिक दवाएं मुख्य भूमिका निभाती हैं। टाइपिकल antipsychotics डोपामिन D2 रिसेप्टर्स को ब्लॉक करते हैं, जबकि अटिपिकल antipsychotics अतिरिक्त सेरोटोनिन 5-HT2A रिसेप्टरों पर भी कार्य करते हैं। दवा के चयन में उसके संभावित साइड इफेक्ट—जैसे मोटापा, मांसपेशियों में अकड़न या कार्डियोमेटाबोलिक मुद्दे—को ध्यान में रखा जाता है।
मेन्टल हेल्थ थैरेपी में बाइपोलर डिसऑर्डर और साइकिया के लिए अनुकूलित CBT (cognitive behavioral therapy) शामिल होती है, जो भ्रमपूर्ण विचारों को पहचानने और चुनौती देने में मदद करती है। पारिवारिक थेरेपी, psychoeducation और सामाजिक कौशल प्रशिक्षण, मरीज और उनके परिवार को बीमारी के प्रति जागरूक करता है और समर्थन करता है।
पहली एपिसोड साइकिया के बाद जल्दी हस्तक्षेप (early intervention services) से अस्पताल में भर्ती की जरूरत कम होती है, पुनः प्रवेश की दर घटती है और मरीज के व्यावसायिक व सामाजिक कार्यक्षमता में सुधार होता है। इसमें चिकित्सा निगरानी, मनोचिकित्सा सत्र, आवासीय और सामुदायिक समर्थन शामिल होता है।
रिकवरी एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें लक्षणों का प्रबंधन, दवा का पालन और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली (जैसे पर्याप्त नींद, संतुलित आहार और व्यायाम) शामिल हैं। क्राइसिस प्लानिंग और समर्थन नेटवर्क की तैयारी, आकस्मिक स्थितियों में उपयोगी होती है।
समाज में साइकिया को लेकर भय और कलंक को कम करने के लिए सामाजिक जागरूकता जरूरी है। मरीजों को रोजगार, शिक्षा और सामाजीकरण के अवसर देकर वे पुनः स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। एक समग्र, सहयोगात्मक और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण ही साइकिया से पीड़ित व्यक्तियों को पूर्ण जीवन जीने में सक्षम बनाता है।