
ऑब्सेसिव-कम्पलसिव डिसऑर्डर (OCD) एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जिसमें व्यक्ति को अनचाहे, बार-बार आने वाले विचार (obsessions) और उन विचारों को नियंत्रित करने के लिए किए जाने वाले ज़रूरी नज़र आने वाले व्यवहार या मानसिक क्रियाएं (compulsions) होती हैं। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति को बार-बार हाथ धोने, चाभी की जाँच करने या लगातार क्रम से गिनती करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है।
OCD वाले व्यक्ति अक्सर जानते हैं कि उनके विचार और व्यवहार अतिशयोक्ति के स्तर पर हैं, लेकिन उन्हें चक्र को तोड़ने का नियंत्रण नहीं होता। ये compulsions उन्हें तात्कालिक राहत प्रदान करती हैं, परंतु ये पलभर की राहत होती है और चिंता शीघ्र ही वापस आ जाती है, जिससे यह चक्र निरंतर जारी रहता है।
OCD के विकास में जैविक (जैसे न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन, खासकर सेरोटोनिन), आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय तनाव (जैसे बचपन में ट्रॉमा) योगदान करते हैं। अध्ययन बताते हैं कि मस्तिष्क में अमिग्दाला और फ्रंटल लोब्स के बीच असंतुलन OCD में प्रमुख भूमिका निभाता है।
डॉक्टर आमतौर पर DSM-5 के मापदंडों के आधार पर OCD की पहचान करते हैं, जिसमें विचारों या व्यवहारों की आवृत्ति, समय की अवधि और दैनिक जीवन पर प्रभाव को देखा जाता है। OCD के साथ अक्सर अवसाद, चिंता विकार या अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ भी जुड़ी होती हैं।
OCD का सबसे प्रभावी उपचार BDT (Cognitive Behavioral Therapy) का एक तरीका ERP (Exposure and Response Prevention) है, जिसमें रोगी को धीरे-धीरे अपने डर की वस्तुओं या विचारों के संपर्क में लाया जाता है और उन्हें compulsive व्यवहार से बचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यद...
ERP के दौरान, रोगी को चरणबद्ध तरीके से भयावह उत्तेजनाओं का सामना कराया जाता है, फिर उसे मजबूर किया जाता है कि वह अपनी आदतों को न दोहराए। इस प्रक्रिया से मस्तिष्क को सीखने का अवसर मिलता है कि भयावह अनुभव के बाद संकट नहीं होता और compulsions की आवश्यकता समाप्त हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, SSRI जैसे एंटीडिप्रेसेंट्स OCD के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को संतुलित करते हैं। दवा और थेरेपी के संयोजन से लक्षणों में अधिक दीर्घकालिक सुधार होता है।
रोगी को प्रगति मॉनिटर करने के लिए घर पर अभ्यास और डायरी रखने के लिए कहा जाता है, जहां वे अपने obsessive विचारों, compulsive क्रियाओं और उनमें आने वाले परिवर्तनों को रिकॉर्ड करते हैं। यह प्रक्रिया आत्म-जागरूकता बढ़ाती है और चिकित्सक को उपचार योजना समायोजित करने में मदद करती है।
अंततः, OCD का प्रबंधन जीवन भर का हो सकता है, लेकिन सही उपचार, सपोर्ट नेटवर्क और आत्म-नियंत्रण रणनीतियाँ व्यक्ति को जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और सेवायद्योगी उचित नियंत्रण बनाए रखने की दिशा में समर्थन करती हैं।