शराब का उपयोग

शराब का उपयोग

शराब का सेवन भारतीय समाज में उत्सव से लेकर शोक तक अनेक अवसरों पर देखा जाता है, परंतु जब मात्रा और प्रसंग नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं तो यह लत या ‘एल्कोहल यूज़ डिसऑर्डर’ का रूप ले लेता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार नुकसानदेह सेवन वह है जहाँ प्रति सप्ताह पुरुषों के लिए 14 से अधिक इकाई तथा महिलाओं के लिए 7 से अधिक इकाई शराब ली जाती है, या जहाँ पीने के कारण शारीरिक‑मानसिक एवं सामाजिक हानि उत्पन्न होती है।

अल्पकालिक प्रभाव—उत्साह, लड़खड़ाना, धुंधली दृष्टि—मोहक प्रतीत हो सकते हैं, किंतु दीर्घकालिक परिणाम गंभीर होते हैं। निरंतर शराबखोरी से यकृत में वसा जमना, हेपेटाइटिस और सिरोसिस हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, अग्न्याशय की सूजन, तथा मुख, गला एवं स्तन‑कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव से याददाश्त कमजोर पड़ती है; “ब्लैकआउट” के रूप में याद न रहना आम हो जाता है।

मनोवैज्ञानिक स्तर पर शराब अवसाद और चिंता दोनों को बढ़ाती है। गम भुलाने के लिए पीना तुरंत राहत देता है, किंतु सेरोटोनिन‑डोपामिन असंतुलन से मनोदशा और बिगड़ती है। परिवारजनों के साथ झगड़े, कार्यस्थल पर अनुपस्थिति और वित्तीय कर्ज इस दुष्चक्र को गहरा कर देते हैं। अध्ययन दर्शाते हैं कि हिंसा एवं सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा हिस्सा अत्यधिक नशे से जुड़ा है।

उपचार बहुआयामी दृष्टिकोण से होता है। प्रथम चरण—डे‑टॉक्स—के दौरान चिकित्सकीय निगरानी में निकासी (withdrawal) लक्षणों का प्रबंधन किया जाता है। इस समय बेंजोडायजेपीन, थायमिन और इलेक्ट्रोलाइट पूरक दिए जाते हैं। दूसरा चरण परामर्श और व्यवहार‑परिवर्तन का है। प्रेरक संवाद (Motivational Interviewing) पीड़ित की द्विविधा को स्वीकारते हुए परिवर्तन हेतु आंतरिक प्रेरणा जगाता है। संज्ञानात्मक‑व्यवहार थेरेपी (CBT) ट्रिगर पहचान, विचार पुनर्गठन, और वैकल्पिक तनाव‑निवारण कौशल सिखाती है।

औषधीय विकल्पों में नाल्ट्रेक्सोन क्रेविंग कम करता है; अकैम्प्रोसेट मस्तिष्क‑रसायन संतुलित करता है; डाइसल्फिराम पीते ही प्रतिकूल शारीरिक प्रतिक्रिया उत्पन्न कर निवारक प्रभाव देता है। भारत सरकार ने नशा मुक्ति केंद्रों (De‑addiction Centers) के लिए मानक दिशानिर्देश जारी किए हैं, जहां परामर्श, समूह‑चिकित्सा और पुनर्वास सेवाएँ उपलब्ध हैं। AA जैसे 12‑स्टेप समूह और ऑनलाइन सहायता मंच सामाजिक समर्थन और जवाबदेही प्रदान करते हैं।

पुनः lapse होने पर आत्म‑आलोचना के बजाय विश्लेषण जरूरी है—कौन सा ट्रिगर सक्रिय हुआ, किन coping कौशल की कमी रही? नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन, और पर्याप्त नींद मस्तिष्क की रिकवरी तेज करते हैं। परिवार के सदस्यों को भी सह‑यात्री बनकर सीमाएँ तय करनी चाहिए—उदाहरणतः घर में शराब न रखना, enabling व्यवहार से बचना और सकारात्मक गतिविधियों में साथ देना।

याद रखें, शराब की समस्या नैतिक विफलता नहीं, बल्कि चिकित्सीय स्थिति है। समय पर सहायता लेने, वैज्ञानिक उपचार अपनाने और धैर्य रखने से, व्यक्ति न केवल शराब‑मुक्त रह सकता है, बल्कि आत्म‑सम्मान, स्वास्थ्य और रिश्तों को नए सिरे से संवार सकता है।

संदेश भेजने के लिए आपको लॉग इन होना होगा
लॉगिन साइन अप करें
अपनी विशेषज्ञ प्रोफ़ाइल बनाने के लिए, कृपया अपने खाते में लॉग इन करें।
लॉगिन साइन अप करें
हमसे संपर्क करने के लिए आपको लॉग इन होना होगा
लॉगिन साइन अप करें
एक नया प्रश्न बनाने के लिए, कृपया लॉग इन करें या एक खाता बनाएँ
लॉगिन साइन अप करें
अन्य साइटों पर साझा करें
कोई इंटरनेट कनेक्शन नहीं ऐसा लगता है कि आपका इंटरनेट कनेक्शन टूट गया है। पुनः प्रयास करने के लिए कृपया अपना पृष्ठ ताज़ा करें। आपका संदेश भेज दिया गया है