बौद्धिक विकलांगता

बौद्धिक विकलांगता

बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability) एक विकासात्मक विकार है, जिसमें व्यक्ति की संज्ञानात्मक (cognitive) क्षमताएँ और अनुकूली (adaptive) व्यवहार महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित होते हैं। यह स्थिति 18 वर्ष की आयु से पहले पहचान में आती है और दैनिक जीवन के कार्यों, संवाद और सामाजिक अंतःक्रिया को चुनौतिपूर्ण बनाती है।

इन व्यक्तियों को सीखने, समस्या-समाधान, निर्णय लेने और hafızā (memory) में कमी का सामना करना पड़ता है। रोजमर्रा की गतिविधियाँ, जैसे स्वयं-देखभाल (self-care), भोजन तैयार करना, कार्यभार प्रबंधन, और वित्तीय निर्णय लेना, में वे अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता व्यक्त करते हैं।

बौद्धिक अक्षमता की तीव्रता हल्की, मध्यम, गंभीर या गहन (profound) स्तर पर हो सकती है। हल्के लक्षण वाले व्यक्ति विशेष शिक्षा कार्यक्रम और sınırlı rehberlik (support) के साथ bağımsız जीवन यापन कर सकते हैं। जबकि मध्यम और गंभीर मामलों में व्यापक देखभाल और yapılandırılmış वातावरण (structured environment) की आवश्यकता होती है।

शैक्षिक दृष्टिकोण में, व्यक्तिगत शैक्षिक योजनाएँ (IEP) बनाकर सीखने के लक्ष्य और मूल्यांकन критерियाएँ निर्धारित की जाती हैं। विशेष शिक्षक, सहायक कर्मचारी और विशेषज्ञ, भाषा, गणित, और सामाजिक कौशल को विकसित करने में मार्गदर्शन करते हैं।

विशेष रूप से, भाषण चिकित्सा (Speech Therapy) वार्तालाप कौशल सुधरने में मदद करती है; व्यावसायिक चिकित्सा (Occupational Therapy) दैनिक कौशलों पर केंद्रित होती है; और व्यवहारिक चिकित्सा (Behavioral Therapy) सकारात्मक आदतों को प्रोत्साहित करती है। ये थेरेपीज़ आत्मनिर्भरता और मनोवैज्ञानिक समृद्धि को बढ़ाती हैं।

वयस्कों के लिए रोजगार समर्थन कार्यक्रम, sheltered employment और नौकरी कोचिंग, आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक भागीदारी में सहायक होते हैं। सामाजिक गतिविधियाँ जैसे हॉबी समूह, क्लब, और संस्कृति-आधारित कार्यक्रम, सामाजिक समावेशन (inclusion) को बढ़ावा देती हैं।

निरंतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए चिकित्सा परीक्षाएँ, पोषण और व्यायाम कार्यक्रम, तथा मेंटल हेल्थ सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। इनसे जीवन गुणवत्ता सुधरती है और comorbid शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ प्रबंधित होती हैं।

क़ानूनी अधिकारों की सुरक्षा हेतु Disability Rights Act और संयुक्त राष्ट्र विकलांगता कन्वेंशन (UN CRPD) जैसे दस्तावेज़ों द्वारा शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक स्थलों तक पहुँच सुनिश्चित की जाती है। परिवार, समाज और सरकार मिलकर इन अधिकारों को लागू करते हैं।

समावेशी समाज के निर्माण में, जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण वर्कशॉप्स और सामुदायिक सहभागिता ज़रूरी हैं। इस तरह बौद्धिक अक्षमता वाले व्यक्तियों को समर्थन मिलता है, और वे अपने क्षमताओं को पहचान कर समाज में सक्रिय योगदान दे सकते हैं।

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