
सहूलियत रोधी कौशल (coping skills) वे मानसिक और व्यवहारिक तकनीकें हैं जो व्यक्ति को तनाव, क्रोध, निराशा और अन्य नकारात्मक भावनाओं से निपटने में सहायता करती हैं। ये कौशल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: समस्या-केन्द्रित और भावनात्मक-केन्द्रित। समस्या-केन्द्रित कौशल में व्यक्ति समस्या का समाधान खोजने या बाधा को टालने के व्यावहारिक कदम उठाता है, जैसे कि कार्य का पुन:आयोजन या सहायता मांगना।
भावनात्मक-केन्द्रित कौशल सीधे समस्याओं को हल नहीं करते, पर तनाव के प्रभाव को सहज करते हैं। गहरी साँस, ध्यान (माइंडफुलनेस), संगीत सुनना, या किसी विश्वसनीय मित्र से बातें करना इस श्रेणी में आते हैं। ये तकनीकें अंततः मस्तिष्क में तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को कम करने में मदद करती हैं।
एक अन्य प्रभावी तरीका है खुद को जानना और स्व-पर्यवेक्षण करना। व्यक्ति, तनाव उत्पन्न करने वाले ट्रिगर्स को पहचानकर, उनकी लिस्ट बना सकता है तथा उनसे निपटने के लिए वैकल्पिक गतिविधियाँ तय कर सकता है। जैसे, विरोधाभासपूर्ण स्थिति में पहले तीन गहरी साँस लेना, फिर समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना।
नियमित शारीरिक व्यायाम, जैसे योग, तेज़ चलना या खेल-कूद, अंतःप्रेरणा को बढ़ाता है और मूड स्थिरता को सुधारता है। साथ ही, पर्याप्त नींद और संतुलित आहार भी मानसिक सहनशक्ति में सहायक होते हैं। रोज़ाना विटामिन-डी प्राप्त करना और हाइड्रेशन बनाए रखना आवश्यक है।
सामाजिक समर्थन भी महत्वपूर्ण है; पारिवारिक और मित्रों के साथ खुलकर संवाद करना, साझा अनुभवों का लाभ उठाना, समूह सत्रों में भाग लेना, ये सब भावनात्मक भार को साझा करके हल्का करते हैं। किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लेना, नई रणनीतियाँ सीखने और अभ्यास के लिए मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
लंबी अवधि में, आत्म-देखभाल की आदतें बनाए रखना और फीडबैक प्राप्त करना आवश्यक है। कोचिंग, थेरेपी या आत्म-रिफ्लेक्शन जर्नलिंग से व्यक्ति अपनी प्रगति पर नज़र रख सकता है और कोरोना जैसे बड़े संकटों का सामना भी अधिक दृढ़ता से कर सकता है। इन सब विधियों से, न केवल तत्काल राहत मिलती है, बल्कि दीर्घकालिक मानसिक लचीलापन भी विकसित होता है।