
बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ अक्सर शैक्षणिक प्रदर्शन, पारिवारिक संबंध और सामाजिक विकास को प्रभावित करती हैं। स्कूल में ध्यान न लगना, अनियंत्रित भावुकता, या घर पर लगातार मुड़-मुटकर व्यवहार जैसे संकेत विकासगत असंतुलना की ओर इशारा करते हैं। ये लक्षण तेजी से बदलते मस्तिष्क संरचना, भावनात्मक अस्थिरता और परिवेशीय प्रभावों का मिश्रण होते हैं।
सामान्य समस्याओं में चिंता विकार, अवसाद, असाधारण चिड़चिड़ापन, ध्यान-घाट, सोने में कठिनाई तथा आक्रामक प्रवृत्ति शामिल हैं। विशेषकर सामाजिक चिंता से जूझते किशोर समूह में दोस्तों के साथ संबंध बनाने से कतराते हैं, जिसके कारण अकेलापन और आत्म‑ग्लानि बढ़ सकती है। शारीरिक लक्षण जैसे सरदर्द या पेट दर्द भी मनोवैज्ञानिक तनाव का बाह्य रूप हो सकते हैं।
इलाज की शुरुआत बहु-आयामी मूल्यांकन से होती है: माता-पिता, शिक्षक और स्वयं बच्चे/किशोर से साक्षात्कार करके व्यवहार, भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ और पारिवारिक इतिहास एकत्र किया जाता है। आवश्यकता के अनुसार मानकीकृत परीक्षण (सीबीटी, CBCL, SDQ) तथा पर्यवेक्षित खेल सत्रों के माध्यम से आकलन गहन किया जाता है। इससे सटीक निदान होता है और उपचार प्रभावी बनता है।
उपचार में कौशल-निर्माण पर जोर दिया जाता है। छोटे बच्चों के लिए खेल आधारित काउंसलिंग, जहाँ खिलौनों के माध्यम से भावनाएं व्यक्त की जाती हैं। किशोरों के लिए संज्ञानात्मक-व्यवहार थेरेपी (CBT) से नकारात्मक विचारों को चुनौती देना और समस्या-समाधान कौशल सीखना महत्वपूर्ण है। माइंडफुलनेस और दिमागी शान्ति अभ्यास तनाव को कम करते हैं। परिवार चिकित्सा, जहां पारिवारिक संवाद और समर्थन संरचना मजबूत होती है, ट्रिगर्स को पहचानने और सुधारात्मक पर्यावरण बनाने में सहायक है।
स्कूल आधारित हस्तक्षेपों में सामाजिक-भावनात्मक कौशल कार्यक्रम, सहकर्मी मेंटरिंग और शिक्षकों को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित करना शामिल होता है। नियमित फॉलो-अप बैठकें, आकलन और प्रगति रिपोर्टिंग सुनिश्चित करते हैं कि उपचार ट्रैक पर है। आवश्यकतानुसार, गंभीर लक्षणों में बच्चों के लिए सुरक्षित रूप से चयनित दवाइयाँ (SSRI, सिट्रलाइज़र) प्रयुक्त होती हैं।
प्रिवेंशन के लिए माता-पिता को सकारात्मक पालन-पोषण तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन समय का प्रबंधन, और तनाव प्रबंधन शिक्षण प्रदान करना चाहिए। इससे बच्चे के आत्मविश्वास, पारिस्थितिक सहानुभूति और आत्म-नियमन कौशल विकसित होते हैं। एक समग्र और समन्वित दृष्टिकोण से, हर बच्चा वयस्कता के लिए मजबूत मानसिक आधार के साथ तैयार होता है।