
व्यवहार‑सम्बन्धी समस्याएँ (Behavioral Issues) वे स्थितियाँ हैं जब किसी व्यक्ति का आचरण उसकी आयु या सामाजिक संदर्भ के अनुरूप नहीं होता और यह लगातार उसकी पढ़ाई, कामकाज या संबंधों को बाधित करता है। ADHD (अटेंशन‑डिफिसिट/हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर), ODD (विरोधात्मक‑अधिनायकवादी विकार), Conduct Disorder, आवेग नियंत्रण विकार तथा टुरेट सिंड्रोम जैसी टिक विकार इसके सामान्य उदाहरण हैं। एक बच्चा सामान्य से अधिक चंचल हो सकता है, बार‑बार नियम तोड़ सकता है या अचानक आक्रामक व्यवहार कर सकता है, जिससे परिवार और विद्यालय दोनों में तनाव उत्पन्न हो जाता है।
इन समस्याओं के कारण बहुआयामी होते हैं। आनुवंशिक प्रवृत्ति, गर्भावस्था के दौरान विषैले पदार्थों का संपर्क, मस्तिष्क में न्यूरोकेमिकल असंतुलन, घरेलू कलह, भावनात्मक उपेक्षा, बुलिंग या सतत तनाव—सभी मिलकर इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि व्यवहार समस्या केवल “बुरी परवरिश” का परिणाम नहीं है; यह जैविक तथा पर्यावरणीय कारकों की जटिल परस्पर क्रिया का संकेत है।
इलाज में मुख्य रूप से संज्ञानात्मक‑व्यवहारिक चिकित्सा (CBT), पारिवारिक परामर्श, विद्यालय आधारित हस्तक्षेप और आवश्यकता अनुसार औषधि शामिल हो सकती है। ADHD में मेथिलफेनिडेट या एटोमॉक्सेटीन जैसी दवाएँ ध्यान बढ़ाने और आवेग कम करने में मदद करती हैं, जिससे थेरेपी में सीखे कौशलों को लागू करना आसान हो जाता है। अभिभावकों को सकारात्मक सुदृढीकरण, स्पष्ट नियम और निरंतर प्रतिक्रिया देने का प्रशिक्षण देना महत्वपूर्ण है ताकि घर का वातावरण सहयोगी बने। शिक्षक सतत समर्थन प्रदान करें—कक्षा में दृश्य अनुसूचियाँ, शांत कोना या नियमित ब्रेक जैसी रणनीतियाँ सहायता कर सकती हैं।
जीवनशैली समायोजित करना भी आवश्यक है: नियमित खेलकूद या योग, सीमित स्क्रीन‑समय, पौष्टिक आहार और भरपूर नींद मस्तिष्क के आत्म‑नियमन तंत्र को मजबूत करते हैं। साथ ही, संगीत, कला या टीम गतिविधियाँ ऊर्जा की रचनात्मक अभिव्यक्ति का मंच देती हैं। सफलता के छोटे अनुभव आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और नकारात्मक लेबल को चुनौती देते हैं।
समय पर पहचान और संपूर्ण सहायता से अधिकतर बच्चे एवं किशोर अपनी व्यवहार संबंधी समस्याओं को प्रबंधित कर सकते हैं। संतुलित उपचार उन्हें बेहतर शैक्षणिक प्रदर्शन, स्वस्थ संबंध और सुदृढ़ आत्म‑छवि विकसित करने में सहायता करता है। ध्यान रखें: हर चुनौतीपूर्ण व्यवहार के पीछे कोई अनसुनी आवश्यकता या भावना छिपी होती है। जब हम उस आवश्यकता को समझते और सम्बोधित करते हैं, तो परिवर्तन संभव होता है और भविष्य उज्ज्वल बन सकता है।