
पैनिक अटैक एक तीव्र, अचानक उत्पन्न होने वाली भय या असहजता की भावना है, जो कुछ ही मिनटों में चरम पर पहुंच जाती है। पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को तेज़ दिल की धड़कन, सांस फूलना, ठंड या गर्म होने का एहसास, चक्कर आना, घबराहट, पसीना आना, कंपन, सीने में दर्द, मतली और नियंत्रण खोने या मरने का डर हो सकता है। ये लक्षण इतने तीव्र होते हैं कि व्यक्ति अक्सर हार्ट अटैक या अन्य जानलेवा स्थिति का भ्रम पाल लेता है।
ये अटैक अचानक हो सकते हैं या किसी विशिष्ट स्थिति, स्थान, सोच या भावना के कारण ट्रिगर हो सकते हैं। जबकि किसी को भी पैनिक अटैक हो सकता है, यह आमतौर पर उन व्यक्तियों में अधिक देखा जाता है जिन्हें पैनिक डिसऑर्डर या अन्य एंग्जायटी डिसऑर्डर होता है। पैनिक डिसऑर्डर वाले व्यक्ति फिर से अटैक होने के भय से ग्रस्त रहते हैं और उन स्थानों से बचने की कोशिश करते हैं जहाँ पहले अटैक हुए थे।
पैनिक अटैक के कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन गुणसूत्रीय प्रवृत्ति, जीवन में भारी तनाव या परिवर्तन, विशेष व्यक्तित्व लक्षण, हार्मोनल बदलाव और मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन (जैसे सेरोटोनिन) इसके मुख्य कारक माने जाते हैं। अनियमित साँस लेने के पैटर्न और कॉर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन का उच्च स्तर भी भूमिका निभा सकता है।
दवाइयों में विशेष रूप से सेलेक्टिव सेरोटोनिन रिकैप्चर इनहिबिटर्स (SSRIs) और बेंजोडायजेपिन्स शामिल हो सकते हैं। SSRIs दीर्घकालिक में एंग्जायटी लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं, जबकि बेंजोडायजेपिन्स तीव्र अटैकों के समय अल्पकालिक राहत देते हैं। ये दवाएं आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ की निगरानी में ली जानी चाहिए।
बीडीटी (Cognitive Behavioral Therapy) पैनिक अटैक का प्राथमिक गैर-औषधीय उपचार है। इसमें व्यक्ति को उसके भयजनक विचारों और प्रतिक्रिया तरीकों को पहचानने और बदलने में मदद की जाती है। एक्सपोजर तकनीक के तहत, व्यक्ति को सुरक्षित वातावरण में उन उत्तेजनाओं का सामना कराया जाता है जो अटैक ट्रिगर कर सकती हैं, परंतु बिना बचाव के स्थितियों से गुजरने के अभ्यास से भय धीरे-धीरे कम हो जाता है।
दूसरी स्वयं-उपाय रणनीतियों में गहरी साँस लेने के व्यायाम, प्रगतिशील मांसपेशी शिथिलीकरण, ध्यान एवं माइंडफुलनेस शामिल हैं। ये तकनीकें शरीर के तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती हैं और घबराहट को कम करती हैं। नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद एवं संतुलित आहार भी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और पैनिक अटैकों की आवृत्ति को घटाने के लिए सहायक होते हैं।
पैनिक अटैक से निपटने के लिए पैनिक डायरी रखना लाभकारी होता है, जिसमें अटैक के समय की समयावधि, परिस्थितियाँ और भावनाएँ नोट की जाती हैं। इससे ट्रिगर्स का विश्लेषण करके उपचार योजना समायोजित की जा सकती है। परिवार एवं मित्रों का समर्थन भी व्यक्ति को सुरक्षित और समझा हुआ महसूस कराने में सहायक होता है।
यद्यपि पैनिक अटैक भयावह होते हैं, लेकिन ये स्वयं में जानलेवा नहीं होते। उचित उपचार, दवा और आत्म-देखभाल से व्यक्ति अपनी जीवन गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, अटैक की आवृत्ति और गंभीरता को नियंत्रित कर सकता है, और सामान्य गतिविधियों को सहजता से जारी रख सकता है।