
ध्यान‑अभाव एवं अति‑सक्रियता विकार (Attention Deficit Hyperactivity Disorder—ADHD) एक ऐसा स्नायविक विकासात्मक विकार है जो बचपन में प्रकट होता है और प्रायः व्यस्क अवस्था तक बना रहता है। इसकी मूल विशेषताएँ हैं—अवधान की कमी, अत्यधिक चंचलता तथा आवेगशील व्यवहार—जो मिलकर व्यक्ति के अध्ययन, कार्य और पारिवारिक‑सामाजिक जीवन को बाधित करते हैं।
बच्चों में यह कक्षा में एकाग्र न रह पाना, बार‑बार उठ खड़े होना, खिलौने या पुस्तिकाएँ भूल जाना, प्रश्न पूरा होने से पहले उत्तर उगल देना आदि रूपों में दिखता है। वयस्कों के लिए इसका अर्थ हो सकता है—कागज़ी काम को टालना, समय पर मीटिंग में न पहुँचना, लंबे समय तक बैठ कर योजनाएँ न कर पाना तथा बिना सोचे जोखिमपूर्ण निर्णय लेना। परिणामस्वरूप आत्म‑सम्मान में गिरावट, रिश्तों में तनाव और करियर‑अवसरों में बाधा आ सकती है।
विश्व स्तर पर ADHD का प्रचलन बच्चों में लगभग 5‑7% तथा बड़ों में 2‑3% आँका गया है। आनुवंशिकता इसका प्रमुख कारक है; अभिभावकों में यह विकार होने पर संतान में जोखिम बढ़ जाता है। मस्तिष्क के डोपामिन तंत्र में कार्यात्मक परिवर्तन, गर्भकालीन अल्कोहल/धूम्रपान‑संपृक्ति, शीघ्र प्रसव तथा प्रारंभिक जीवन का निरंतर तनाव भी योगदान कर सकते हैं।
निदान व्यापक प्रक्रिया है जिसमें चिकित्सकीय साक्षात्कार, माता‑पिता/शिक्षक प्रश्नावली, और ध्यान‑सम्बन्धी परीक्षण शामिल हैं। सही निदान कलंक नहीं, बल्कि उपयुक्त सहायता एवं संसाधनों तक पहुँच का प्रवेश‑द्वार है।
उपचार बहुआयामी होना चाहिए। मेथिलफेनीडेट अथवा एटोमॉक्सेटीन जैसी औषधियाँ मस्तिष्क में डोपामिन एवं नॉरएड्रेनालिन उपलब्धता बढ़ाकर अवधान सुधारती हैं और आवेगशीलता घटाती हैं। संज्ञानात्मक‑व्यवहार थेरेपी समय‑प्रबंधन, प्राथमिकता निर्धारण और आत्म‑नियमन के कौशल सिखाती है। अभिभावक प्रशिक्षण से घर में संरचना एवं सकारात्मक प्रोत्साहन का वातावरण बनता है।
रोजमर्रा की रणनीतियाँ—जैसे रंग‑सूचित कैलेंडर, मोबाइल रिमाइंडर, नियमित योग या एरोबिक व्यायाम, प्रोटीन व ओमेगा‑3 समृद्ध आहार, और नियत सोने‑जागने का क्रम—मस्तिष्क के रसायन शास्त्र को संतुलित कर लक्षणों को कम करती हैं। सहपाठी समूह कार्यक्रम और सामाजिक कौशल कार्यशालाएँ सहयोगी संबंधों को मजबूत करती हैं।
यद्यपि ADHD आजीवन रह सकता है, परंतु शोध दर्शाते हैं कि समर्थक हस्तक्षेपों के साथ व्यक्ति अपनी रचनात्मकता, तीव्र अंतर्दृष्टि और समाधान‑मुखी सोच को सशक्त बना सकता है। बीच‑बीच में एकाग्रता में गिरावट आना सामान्य है; इसे असफलता न मानते हुए सीखने के अवसर के रूप में लें। सतत उपचार, परिवार व मित्रों का सहयोग और स्वयं की संलग्नता—इनकी त्रिपदी से ADHD‑संबंधी चुनौतियों के पार जाकर संतुलित, उद्देश्यपूर्ण और आत्म‑सम्मान से युक्त जीवन सम्भव है।